छत्तीसगढ़

अपनों ने ही ली जान! शशिकला और डॉक्टर ने मिलकर जयललिता को मारा, आयोग की रिपोर्ट में दावा

नईदिल्ली I तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने विधानसभा में आज मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच की रिपोर्ट पेश कर दी है. इस जांच रिपोर्ट में सनसनीखेज बातें सामने आई हैं. हाईकोर्ट के एक पूर्व जज ने अपनी जांच के रिपोर्ट में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की 2016 में चेन्नई के एक हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद उनकी मौत की जांच होनी चाहिए. इस मामले में जयललिता की बेहद करीबी रहीं शशिकला की भूमिका की गहन जांच जरूरी है, यही नहीं डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध है.

साल 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच करने वाले जस्टिस ए अरुमुघस्वामी आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री की विश्वासपात्र वी के शशिकला को “अपनी गलती माननी होगी और इस संबंध में जांच का आदेश दिया जाना चाहिए.” समिति ने शशिकला के साथ कई अन्य संदिग्धों का भी नाम लिया है.

शशिकला की भूमिका संदिग्ध

खबरों के मुताबिक, जयललिता की मौत के वक्त उनकी करीबी रहीं शशिकला का उनसे अलगाव हो गया था. ऐसा माना जाता है कि उस समय जया और शशि के बीच मतभेद उभर गए थे. जांच समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि जयललिता की मौत में शशिकला की भूमिका की गहन जांच जरूरी है. समिति ने जयललिता का इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी दोषी ठहराया. अपोलो अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि उन्होंने लोगों को बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं दी.

समिति ने अपना जांच में यह भी कहा कि जयललिता की एंजियोप्लास्टी नहीं की गई, हालांकि विशेषज्ञों ने उन्हें तुरंत इसे करने की सलाह दी थी. मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरुमुघस्वामी की एक सदस्यीय जांच आयोग की स्थापना सितंबर 2017 में की गई थी, जब जयललिता की राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी, AIADMK ने पूरे मामले के पीछे साजिश रचे जाने और जयललिता की बीमारी तथा अपोलो अस्पताल में उनके इलाज को लेकर परस्पर विरोधी चीजों को देखते हुए जांच के आदेश की बात कही थी.

5 साल से जांच कर रहा था आयोग

अरुमुघस्वामी आयोग पिछले 5 सालों से जयललिता की मौत के अलग-अलग एंगल से जांच कर रहा था. जांच के दौरान जयललिता के कई सहयोगियों, रिश्तेदारों, अधिकारियों और पूर्व मंत्रियों से पूछताछ की गई. यहां तक की अस्पताल से भी कई जानकारियां ली गईं. जांच समिति ने जिन 75 गवाहों से पूछताछ की, उनमें सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा, चेन्नई अपोलो अस्पताल के डॉक्टर और चेन्नई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जो उस समय ड्यूटी पर तैनात थे. आयोग ने जांच के दौरान 158 लोगों से बात की.

साल 2016 में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद जयललिता को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लंबे समय तक इलाज के बाद जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2016 को हो गया था. इस दौरान उनकी मौत के पीछे कई तरह की शंकाएं जताई जा गई थी. जयललिता के विश्वासपात्र और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने उनकी मौत के मामले में आयोग बनाकर जांच की मांग की थी.

DMK ने भी किया चुनावी वादा

पिछले साल AIADMK को हराकर राज्य की सत्ता में फिर से लौटने वाली द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) ने अप्रैल 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की परिस्थितियों की जांच करने और मामले के दोषी पाए जाने पर फिर से कानूनी कार्रवाई करने का वादा किया था.

अरुमुघस्वामी जांच आयोग ने 22 नवंबर 2017 को इस मामले मे अपनी जांच शुरू की थी. जस्टिस अरुमुघस्वामी मद्रास हाई कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश हैं. जांच के दौरान अरुमुघस्वामी आयोग के समक्ष बयान देने वालों में AIADMK के शीर्ष नेताओं में ओ पनीरसेल्वम, जयललिता की भतीजी दीपा और भतीजे दीपक के अलावा राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर और मनोज पांडियन भी शामिल थे.