छत्तीसगढ़

जयललिता मौत केस: 150 गवाह, 500 पेज की रिपोर्ट…सलाह के बाद भी नहीं हुई थी सर्जरी

नईदिल्ली I तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके की नेता जे जयललिता की मौत के मामले में जस्टिस अरुमुघसामी कमीशन की रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आई हैं. 150 गवाहों के आधार पर तैयार 150 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस अस्पताल में जयललिता भर्ती थीं, वहां के 10 कमरों पर उनकी करीबी शशिकला के रिश्तेदारों का कब्जा था. साथ ही डॉक्टरों की सलाह के बाद भी जयललिता की सर्जरी नहीं की गई थी.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डॉ. वाईवीसी रेड्डी और डॉ. बाबू अब्राहम ने जयललिता का इलाज किया था. विदेश से डॉक्टरों को भी बुलाया गया था. इन डॉक्टरों ने जयललिता की सर्जरी करने करने की सलाह दी थी. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि डॉक्टर दबाव में आए और उन्होंने इसे टाल दिया था. इस पूरे मामले की जांच करने की मांग की गई है.

जयललिता की मौत पर उनकी करीबी शशिकला घिरीं

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की 2016 में हुई मौत के लिए जिम्मेदार परस्थितियों की जांच कर रहे आयोग ने दिवंगत नेता की करीबी वीके शशिकला को दोषारोपित किया है. इस बीच, सरकार ने मंगलवार को कहा कि कानूनी सलाह लेने के बाद वह कार्रवाई शुरू करेगी. जांच आयोग की रिपोर्ट में चिकित्सक केएस शिवकुमार (शशिकला के रिश्तेदार), तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर को भी दोषारोपित किया गया है. साथ ही, इसमें कहा गया है कि अगर जांच का आदेश दिया जाए तो वे भी दोषी पाए जाएंगे.

75 दिन रही थीं अस्पताल में भर्ती

जस्टिस ए अरुमुगास्वामी जांच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई पहलुओं पर विचार करते हुए शशिकला को दोषारोपित किया गया है और इसने जांच की सिफारिश की है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को तबीयत खराब होने पर उन्हें 22 सितंबर, 2016 को चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. वह अस्पताल में करीब 75 दिन भर्ती रही थीं. इसके बाद 5 दिसंबर, 2016 को उनकी मौत की खबर आई थी. जयललिता की मौत के मामले में उनकी भतीजी दीपा और उनके भतीजे दीपक ने सवाल उठाए थे. एआईएडीएमके के कई नेताओं ने भी सवाल उठाए थे.

मौत के असल दिन को लेकर विवाद

पूरा विवाद जयललिता की मौत के असल दिन को लेकर है. अस्पताल के अनुसार उनकी मौत 5 दिसंबर, 2016 को हुई थी. लेकिन कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जयललिता की मौत 4 दिसंबर, 2016 को हो चुकी थी. इसी पूरे मामले की जांच के लिए जस्टिस अरुमुघसामी जांच आयोग बनाया गया था. आयोग 475 पेज की अपनी रिपोर्ट में एक तमिल पत्रिका की रिपोर्ट के आधार पर शशिकला और उनके रिश्तेदारों पर लगे साजिश के आरोपों की तह तक गया है.

आयोग ने कहा कि वह इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि ठोस संदेह के आधार पर ही जयललिता ने शशिकला को अपने पोएस गार्डन आवास से बाहर (नवंबर 2011 से मार्च 2012 तक) कर दिया था. जानकारी के अनुसार जब जयललिता अस्पताल में भर्ती थीं तो उनकी करीबी शशिकला को ही अस्पताल में उनके पास जाने की इजाजत थी. डॉक्टर उनको ही जयललिता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते थे. जयललिता का इलाज भी शशिकला के निर्देश पर किया जा रहा था.