छत्तीसगढ़

खरगे की ताजपोशी आज, क्या इन चुनौतियों में घिरी कांग्रेस को निकाल पाएंगे बाहर?

नईदिल्ली I कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बुधवार को पदभार संभालेंगे, हालांकि यह जिम्मेदारी उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ लेकर आने वाली है. उनके सामने एक तरफ राजस्थान का सियासी संकट तत्काल चुनौती बनकर खड़ा है, तो अगले कुछ हफ्तों में होने जा रहे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी बड़ी चुनौती हैं. वहीं, 2024 का लोकसभा चुनाव उनके लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी.

पदभार ग्रहण करने से पहले खरगे ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की. खरगे बुधवार को सुबह राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. वह पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी के स्मृति स्थलों के साथ ही पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के स्मृति स्थल भी जाएंगे.

कांग्रेस मुख्यालय में तैयारियां पूरी

उनके पदभार ग्रहण से जुड़े कार्यक्रम को लेकर भी कांग्रेस मुख्यालय में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. सुरक्षाकर्मियों और कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने आखिरी मिनट की तैयारियों का जायजा लिया.कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री बुधवार को सुबह खरगे को औपचारिक रूप से निर्वाचन प्रमाणपत्र सौंपेंगे.

खरगे बुधवार को सुबह सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष और पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे. सात सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के बाद राहुल गांधी पहली बार दिल्ली में कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. वह 27 अक्टूबर से फिर से यात्रा में शामिल हो जाएंगे. यात्रा इन दिनों तेलंगाना में है.

दिलचस्प बात है कि इस कार्यक्रम में गहलोत के साथ ही राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद होंगे. राजस्थान के सियासी संकट के बीच लंबे समय बाद दोनों नेता किसी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. कर्नाटक के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 80 वर्षीय खरगे ने 17 अक्टूबर को हुए ऐतिहासिक चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी 66 वर्षीय थरूर को मात दी थी। पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बना है.

2024 से पहले करना होगा पार्टी को मजबूत

खरगे को 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के बेहतर करने की उम्मीदें बड़ी चुनौती है, वहीं राजस्थान व कर्नाटक में पार्टी के भीतर जारी रस्साकशी ने पार्टी की परेशानी और बढ़ा दी है. ऐसे में 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करना खरगे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

शशि थरूर को मात देकर पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज होने वाले खरगे के पक्ष में भी कुछ चीजें नजर आ रही हैं. खरगे की छवि सबको साथ लेकर चलने की रही है और उनकी यह खूबी यहां से आगे का सफर तय करने में उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. खरगे के कार्यभार संभालने के कुछ सप्ताह बाद ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव उनके सामने पहली चुनौती होंगे, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत पकड़ है.

इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है.इस परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है. पार्टी में पीढ़ीगत आधार पर विभाजन भी एक चुनौती है और उन्हें अनुभवी नेताओं व युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। यही नहीं, उन्हें गांधी परिवार के रिमोट कंट्रोल से चलने की धारणा को भी गलत साबित करने की चुनौती का सामना करना होगा. उनके सामने एक चुनौती उदयपुर नवसंकल्प को लागू करने और अपनी नयी टीम में सभी समीकरणों को साधते हुए किसी को नाराज नहीं करने की भी होगी.