नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिला के उम्र व प्रजनन अधिकारों के मामले में अहम निर्णय लिया है। इसके अनुसार अब गर्भपात से पहले होने वाली जांच के लिए उम्र के साथ लगाए गए प्रतिबंधों की वैधता जांची जाएगी। गर्भपात के पहले होने वाले दो टेस्ट हैं- pre-conception और pre-natal डायग्नोस्टिक टेस्ट।
संबंधित विभागों को जारी की गई नोटिस
कोर्ट ने एडवोकेट पटेल की याचिका पर सुनवाई की और संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर दिया। बता दें कि यह याचिका तीन साल पहले दायर की गई थी। उम्र को लेकर प्रतिबंध मामले में जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस. ओका की बेंच ने 17 अक्टूबर को केंद्र व अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया। कोर्ट में मीरा करुणा पटेल की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। पटेल खुद भी एडवोकेट हैं।
एडवोकेट पटेल ने कहा-
एडवोकेट पटेल ने कहा है कि जब से याचिका दायर की गई है तब से कितने ही संशोधन हुए लेकिन एक पक्ष है जिसपर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने धारा 4(3)(i) का हवाला दिया जो Pre-Conception और Pre-Natal डायग्नोस्टिक तकनीक अधिनियम, 1994 के लिए है।
35 साल से अधिक उम्र वाली गर्भवती महिलाओं का है मामला
इस धारा के अनुसार, pre-natal डायग्नोस्टिक तकनीकों का इस्तेमाल केवल उन्हीं मामलों में किया जा सकेगा जिसमें गर्भवती महिला की उम्र 35 साल से अधिक हो। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने ठोस फैसला दिया था और कानूनी तौर पर सभी महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दुष्कर्म के अंतर्गत वैवाहिक दुष्कर्म भी शामिल है जो गर्भपात ( Medical Termination of Pregnancy Act) के लिए वैध है।