नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2020 के असम विधानसभा कानून को बरकरार रखने वाले गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी कर दिया। इसके तहत राज्य संचालित सभी मदरसों को सरकारी स्कूलों या सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदला जाना था। इस कानून के विरोध में मदरसा प्रबंधन समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नोटिस जारी कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में असम मदरसा शिक्षा अधिनियम 1995 को बरकरार रखा था। इसके अलावा 12 फरवरी 2021 को जारी नोटिफिकेशन को भी बरकरार रखने का आदेश दिया थाा।
असम सरकार के फैसले के तहत राज्य के 620 मदरसे
जस्टिस अजय रस्तोगी व सीटी रविकुमार वाली बेंच ने असम सरकार व अन्य से जवाब मांगा है। एडवोकेट आदिल अहमद के जरिए याचिका दायर की गई थी। असम सरकार के इस फैसले के तहत 620 मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने धार्मिक शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी है। असम सरकार की ओर से सरकारी नियंत्रण वाले मदरसों को स्कूल में बदलने के फैसले के खिलाफ मदरसों की प्रबंध समितियों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिका में बताया गया कि बिना पर्याप्त मुआवजे के ऐसा करना मदरसे की ओर से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का हनन है। यह सीधे ही अनुच्छेद 30 0(1A) का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में मोहम्मद इमादुद्दीन बरभुईया और असम के 12 अन्य निवासियों ने हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम राहत के लिए रोक की मांग की थी।
मदरसे के नामांकन में आएगी रुकावट
इस साल फरवरी में पारित हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया, ‘ फैसले के अनुसार कार्यवाही के फलस्वरूप इस अध्ययन सत्र के लिए मदरसे में छात्रों के नामांकन में रुकावट आएगी।’