छत्तीसगढ़

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा- सबसे योग्य व्यक्ति ही बने जज, वह नहीं जिसे कोलेजियम जानता है

मुंबई। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि जजों की नियुक्ति की वर्तमान कोलेजियम प्रणाली अपारदर्शी है। सबसे योग्य व्यक्ति को जज नियुक्त किया जाना चाहिए, उसे नहीं जिसे कोलेजियम जानता है। एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में रिजिजू ने कहा, ‘मैं न्यायपालिका या जजों का आलोचक नहीं हूं.. मैं सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान कोलेजियम प्रणाली से खुश नहीं हूं। कोई भी प्रणाली दोषहीन नहीं होती। हमें हमेशा प्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। प्रणाली को जवाबदेह और पारदर्शी होना चाहिए। अगर यह अपारदर्शी है तो संबंधित मंत्री नहीं बोलेगा तो उसके विरुद्ध और कौन बोलेगा।’

जज करते हैं अपने साथियों की सिफारिश

कानून मंत्री ने कहा कि वह सिर्फ लोगों के विचार सामने रख रहे हैं जिनमें वकील समुदाय और कुछ जज भी शामिल हैं। वर्तमान कोलेजियम प्रणाली का बुनियादी दोष यह है कि जज अपने उन साथियों की सिफारिश कर रहे हैं जिन्हें वे जानते हैं। लिहाजा, वे उस जज की सिफारिश नहीं करेंगे जिसे वे नहीं जानते। जब रिजिजू से पूछा गया कि अगर इस प्रक्रिया में सरकार शामिल हुई तो वह कैसे अलग होगी, इस पर उन्होंने कहा कि सरकार के जानकारी एकत्रित करने का एक स्वतंत्र तंत्र होता है। सरकार के पास इंटेलिजेंस ब्यूरो है और कई अन्य रिपोर्टें होती हैं, लेकिन न्यायपालिका और जजों के पास ये नहीं होते। पूरी दुनिया में जजों की नियुक्ति सरकारें करती हैं।

न्यायपालिका में है जबर्दस्त राजनीति

कानून मंत्री ने कहा, ‘इस वजह से न्यायपालिका में भी राजनीति है। वे भले ही प्रदर्शित न करें, लेकिन वहां जबर्दस्त राजनीति है। क्या जजों को ऐसे प्रशासनिक कामों में फंसना चाहिए या न्याय प्रदान करने में ज्यादा समय देना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम रद करने के बारे में रिजिजू ने कहा कि अभी तक सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं कहा था। उन्होंने कहा, ‘जब इसे रद किया गया था तब सरकार कुछ कर सकती थी, लेकिन उसने नहीं किया क्योंकि वह न्यायपालिका का सम्मान करती है। इसका यह मतलब नहीं है कि हम हमेशा चुप रहेंगे।’

मोदी सरकार करती है न्यायपालिका की स्वतंत्रता में विश्वास

कानून मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता में विश्वास करती है और इसीलिए उसने उसे कमजोर करने का कोई कदम नहीं उठाया। रिजिजू ने कहा, ‘न्यायपालिका को कार्यपालिका के काम में दखल नहीं देना चाहिए। जब जज मौखिक टिप्पणियां करते हैं तो उन्हें व्यापक कवरेज मिलती है जबकि उन टिप्पणियों का (मामले पर) कोई प्रभाव नहीं होता। जज को अनावश्यक टिप्पणियां करने के बजाय अपने आदेश के जरिये बोलना चाहिए।’

सरकार ला रही मध्यस्थता विधेयक

देशभर की अदालतों में बड़ी संख्या में दायर होने वाले मामलों पर रिजिजू ने कहा कि बड़ी संख्या में मामले अदालतों के बाहर निपटाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम मध्यस्थता विधेयक ला रहे हैं और मुझे आशा है कि यह आगामी शीत सत्र में पारित हो जाएगा।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वकीलों को अपनी पसंद की भाषा में बहस करने की अनुमति होनी चाहिए।