गौरेला-पेंड्रा-मरवाही I गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के पंडरी गांव स्थित प्राथमिक शाला में शिक्षक और स्टाफ की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता का मामला सामने आया है। यहां एक बच्चे का खेलने के दौरान हाथ टूट गया, लेकिन स्कूल ने न तो पेरेंट्स को सूचना दी और न तो उसका इलाज ही करवाया। मामला मरवाही ब्लॉक के पंडरी गांव के प्राथमिक स्कूल का है।
मामला 2 नवंबर का है, जो अब जाकर उजागर हुआ है। पांचवीं कक्षा का छात्र अर्पित कैवर्त्य रोजाना की तरह स्कूल गया था। यहां खेल-खेल में एक बच्चे के साथ उसकी लड़ाई हुई और दूसरे बच्चे ने उसे धक्का दे दिया। इससे अर्पित का हाथ टूट गया। बच्चा रोने लगा, इसके बावजूद शिक्षिका ने कई घंटे तक बच्चे की मां सुशीला कैवर्त्य को खबर नहीं दी। बाद में किसी और बच्चे ने अर्पित को घर तक छोड़ दिया। मां जब दोपहर में घर आई, तब जाकर उसे बच्चे ने पूरी बात बताई। खबर मिलने पर बाकी परिजन और ग्रामीणों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया। एंबुलेंस की उपलब्धता नहीं होने पर फिर डायल 112 को खबर की गई।
डायल 112 की टीम बच्चे को लेकर मरवाही अस्पताल पहुंची। यहां पहुंचते-पहुंचे शाम के 4 बज गए, लेकिन वहां भी कोई व्यवस्था नहीं थी। बच्चे की मां उसे लेकर एक्स-रे कराने के लिए निजी अस्पताल में भटकती रही। यहां भी कोई व्यवस्था नहीं होने पर वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरवाही में आ गए और रातभर वहीं रहे। इस बीच बच्चा दर्द से तड़पता रहा। दूसरे दिन सुबह जैसे-तैसे व्यवस्था करके परिजन और पड़ोसी बच्चे को लेकर जिला अस्पताल गौरेला पहुंचते हैं।
गौरेला में भी परेशानियों का सामना करते हुए एक्स-रे हुआ, लेकिन फिर प्लास्टर के लिए मां को दर-दर भटकना पड़ा और बाद में वार्ड बॉय ने 300 रुपए रिश्वत लेकर कच्चा प्लास्टर किया। इसके बाद उसने ये कहकर मां-बेटे को भेज दिया कि एक हफ्ते के बाद 1000 रुपए लेकर आना, तब पक्का प्लास्टर होगा। मां अपने इकलौते बेटे को लेकर दर-दर भटक रही थी, लेकिन आखिरकार शनिवार को 3 दिन बीत जाने के बाद भी अर्पित के हाथ में पक्का प्लास्टर नहीं हो सका है।
इधर शिक्षा विकास खंड शिक्षा अधिकारी को पता लगने पर उन्होंने मरवाही बीएमओ के भरोसे बच्चे को मरवाही अस्पताल तक भिजवाकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। इस बारे में मरवाही के बीईओ केआर दयाल ने जब मीडियाकर्मियों ने सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि छात्र अर्पित केवट के हाथ टूटने की जानकारी मुझे हुई थी और मैंने विभाग के एक शिक्षक के साथ उसे मरवाही अस्पताल में भर्ती कराया था और मरवाही के बीएमओ डॉ हर्षवर्धन से इस संदर्भ में बात भी हुई थी।
उन्होंने कहा कि एक्स-रे करने वाला उस समय हॉस्पिटल में नहीं था, लिहाजा बीएमओ ने निजी लैब में एक्स-रे कराने के लिए कहा था, लेकिन बाद में बीएमओ ने प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल में भेजे जाने की जानकारी दी। BEO केआर दयाल ने इसके बाद की जानकारी नहीं होने की बात कही। बता दें कि बच्चे अर्पित कैवर्त्य के पिता की मौत हो चुकी है। घर में वो और उसकी मां सुशीला कैवर्त्य रहते हैं।