छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : रायपुर के इस मरीज को मिली दूसरी जिंदगी, बुजुर्ग की फट गई थी महाधमनी, आंबेडकर अस्पाल के डाक्‍टरों ने ऐसे बचाई जान

रायपुर। डाक्‍टर को धरती का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है। छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक मरीज के लिए प्रदेश के सबसे बड़े डाक्टर भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के डाक्‍टर उस वक्‍त भगवान बन गए, जब कार्डियोलाजी विभाग में महाधमनी विच्छेदन की गंभीर स्थिति में आए 60 वर्षीय मरीज का सफल इलाज कर उसे दूसरी जिंदगी दी।

एसीआइ के डा. अनन्या दीवान, डाक्टर गुरकीरत अरोरा के अनुसार पेशेंट पांच दिन पहले एक निजी अस्पताल से रेफर होकर आया था। तब उसकी स्थिति बिगड़ हुई थी। पेशाब आना बंद हो गया था। मरीज के हृदय के पास एक महाधमनी फट गई थी। उसके अंदर का एक फ्लैप फटकर बायीं जांघ के अंदर चला गया था।

फ्लैप जब फटता है तो उसके अंदर का एक ल्यूमेन (नलिकामय संरचना के अंदर की जगह जिसमें से क्रमश: रक्त और भोजन का प्रवाह होता) रहता है। लेकिन उसके फटने के बाद बाहर की दीवार की ओर दूसरा ल्यूमेन बन जाता है जहां फट गया है वहां ब्लड भरता है और वह ब्लड ट्रू ल्यूमेन यानी वास्तविक ल्यूमेन को बंद कर देता है। वास्तविक ल्यूमेन से ही किडनी की नसों, आंतों की नसों और पैरों की नसों तक रक्त का प्रवाह होता है और बंद होने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस मरीज का ब्लड प्रेशर 200 पर पहुंच गया था। किडनी ने यूरिन बनाना बंद कर दिया था।

इस तरह हुई सर्जरी

चिकित्सकों ने बताया कि पैर की नस से एक पाइप डाला, कैथेटर डाला और उस कैथेटर के द्वारा स्टंट को उस जगह तक पहुंचाया जहां पर एआर्टा फटी हुई थी। स्टंट को वहां पर फुलाया और स्टंट को छोड़ दिया तो जो फटी हुई दीवार थी। वह स्टंट से दब गई और ब्लड का रिसाव बंद हो गया। पेशेंट का ब्लड प्रेशर टेबल पर ही सामान्य होना चालू हो गया। पेशेंट आज ठीक हो गए। दोनों ने चलना प्रारंभ कर दिया। कल दोनों की अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीज को इलाज के लिए पांच लाख रुपये की सहायता राशि मिली, जिस खर्च से इलाज हुआ।

टीम में ये रहे शामिल

कार्डियोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. स्मित श्रीवास्तव, डा. योगेश विशनदासानी के साथ एसीआइ के रेसिडेंट डा. अनन्या दीवान, डा. गुरकीरत अरोरा, एनेस्थेटिस्ट डा. अमृता, सिस्टर इन चार्ज नीलिमा शर्मा, टेक्नीशियन आइपी वर्मा, खेम सिंह शामिल रहे।

अब रात में भी मिल रही बेहतर सेवा

बता दें पिछले कार्डियोलाजी विभाग से एक हृदय रोगी मरीज को कुछ कर्मियों ने प्रताड़ित कर निजी अस्पताल भेज दिया था। जूनियर डाक्टरों से भी मदद नहीं मिल पाई थी। विभागाध्यक्ष डाक्टर स्मित श्रीवास्तव से शिकायत के बाद मामला संज्ञान में आया। और व्यवस्था दुरुस्त की गई थी। विभाग में रात में आने वाले मरीजों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने व्यवस्था में कसावट लाई गई, जिसका असर अब दिखने लगा है।

कार्डियालोजी के विभागाध्यक्ष डाक्टर स्मित श्रीवास्तव ने कहा, मरीज के हृदय के पास महाधमनी फट गई थी, जटिल प्रक्रिया से इलाज सफल रहा। एसीआइ में 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। हम बेहतर सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।