नईदिल्ली I मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह विवाद में सर्वाधिक महत्वपूर्ण 300 से अधिक मूर्तियों व शिलालेख के अवशेष हैं, जो कि जन्मस्थान की 1953 में शुरू हुई खुदाई में उसी जमीन से मिले हैं, जिस पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। ये मूर्तियां और शिलालेख श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर विशेष कक्ष में ताला लगाकर रखे गए हैं।
मथुरा प्राचीन काल से ही विशेष सभ्यताओं के लिए जाना जाता था। यहां के संग्रहालय में भी इन सभ्यताओं से जुड़ी विभिन्न मूर्तियों को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। कटरा केशव देव की जिस 13.37 एकड़ जमीन पर वादकारियों द्वारा दावा किया जा रहा है कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर ईदगाह बनाई है। इसी परिक्षेत्र में जब टीलेनुमा जमीन की खुदाई की गई तो बहुत सी मूर्तियां मिलीं।
इन मूर्तियों में से मात्र सात मूर्तियां ही मथुरा के संग्रहालय में हैं। बाकी मूर्तियां व खुदाई में मिले मूर्तियों व शिलालेखों के अवशेष अभी भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान के पास हैं। संस्थान द्वारा उन्हें बहुत ही संभालकर रखा गया है। इन सबको विशेष कमरे में संरक्षित करके रखा गया है।
समय पर होती है इस कक्ष की साफ-सफाई
खुदाई में निकली मूर्तियां तथा अभिलेख को सुरक्षित रखने में मंदिर प्रशासन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। समय-समय पर मंदिर प्रबंधन द्वारा इस कक्ष की साफ-सफाई कराई जाती है। विशेष कक्ष के अंदर ही इधर से उधर रख दिया जाता है।
संग्रहालय में मिली मूर्तियों में है विश्वरूप विष्णु प्रमुख
संग्रहालय में जो मूर्तियां संरक्षित हैं, उनमें विश्वरूप विष्णु की मूर्ति प्रमुख है। इस विश्वरूप विष्णु की मूर्ति का टूटा हुआ एक चौथाई हिस्सा है। जोकि गुप्त काल का बताया जाता है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु के मुख के अगल-बगल नृसिंह व वाराह के मुखों के साथ आकाश मंडल भी प्रदर्शित है। विष्णु के सिर पर किरीट मुकुट, गले में एकावली, कानों में कुंडल एवं कंधों पर वैजयंती माला शोभित है।
संग्रहालय के उप निदेशक डॉ.यशवंत सिंह राठौर ने बताया कि संग्रहालय में कटरा केशव देव से निकली सात मूर्तियां हैं। जिनमें विश्वस्वरूप विष्णु, गंगा मां, बुद्ध, द्वार तोरण स्तंभ, ऋषभ नाथ, कार्तिकेय नाथ अग्निदेव, स्त्री-पुरुष आकृति के तोरण हैं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के बनते समय जब खुदाई हुई थी तब बहुत सी मूर्तियां, शिलालेख तथा मूर्तियों के अवशेष निकले थे। इनमें से कुछ मूर्तियां केवल पुरातत्व विभाग ले गया है। बाकी की करीब 300 से अधिक मूर्तियां, शिलालेख, अवशेष हमारे पास हैं। हमने उन्हें विशेष कक्ष में सुरक्षित रख लिया है। जिनमें से बहुत सी मूर्तियां मंदिर होने का प्रमाण देती हैं। समय आने पर इन्हें सामने लाया जाएगा। खुदाई 15 अक्तूबर 1953 से शुरू हुई थी।