छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : नक्सल इलाके से लापता हुए 4 लोगों में से दो को माओवादियों ने किया रिहा

बीजापुर। नक्सली अपहरण को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि नक्सल इलाके से लापता हुए 4 लोगों में से माओवादियों ने दो को रिहा कर दिया है। वहीं दो लोग अब भी नक्सलियों के कब्जे में हैं। बता दें 24 दिसंबर से 4 ठेकेदार लापता थे। वहीं 10 दिन बाद 2 लोगों को रिहा किया गया है। इनमें से एक कोंडागांव निवासी निमेंद्र कुमार दीवान और नीलचंद नाग को माओवादियों ने रिहा किया है। वहीं लोहंडीगुड़ा निवासी टेमरू नाग के साथ ही बारसूर निवासी चापड़ी बत्तैया अब भी नक्सलियों के कब्जे में हैं। जानकारी के अनुसार देर रात इन दोनों को रिहा किया गया। रिहाई के बाद पुलिस और मीडिया को बिना सूचना दिए वो दोनों कोंडागांव रवाना हुए। इस रिहाई की पुष्टि परिजन और रिश्तेदारों ने की है।

दरअसल, 24 दिसंबर को ये चारों व्यक्ति गोरना के अंदरूनी इलाकों में गए थे। जो नक्सलगढ़ माना जाता है। आंशका व्यक्त की जा रही थी कि कहीं ये नक्सलियों के चंगुल में न फंस गए हों। सूत्रों ने बताया था कि ये चारों सड़क के सिलसिले में यहां गये थे। जिसके बाद इन चार लोगों के लापता होने की जानकारी मिली थी। जानकारी के अनुसार इनमें एक पेटी ठेकेदार है, तीन उनके कर्मचारी है। 8 दिनों से लापता लोगों की कोई जानकारी अब तक नही आ रही थी।

कोंडागांव निवासी चार लोग जो लापता थे

निमेंद्र कुमार दीवान, नीलचंद नाग, लोहंडीगुड़ा के टेमरू नाग के साथ ही बारसूर निवासी चापड़ी बत्तैया नाम के बताए जा रहे थे। गोरना मनकेली क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में नये लोगों का प्रवेश करना खतरे से कम नहीं है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में संपर्क नहीं होने की वजह से परिजनों में चिंता बनी हुई है। वहीं लापता के परिजन बीजापुर पहुंचे थे। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और परिजनों ने नक्सल संगठन से सकुशल रिहाई के लिए मार्मिक अपील की थी।

गोरना सड़क का विरोध कर चुके हैं ग्रामीण

गौरतलब है कि पीएमजीएसवाय द्वारा इस सड़क का निर्माण 6 माह पहले 5 किमी तक निर्माण किया गया है। इस सड़क के बनने के समय ग्रामीणों ने विरोध किया था लेकिन पुलिस के सहयोग से प्रशासन ने गोरना तक पक्की सड़क बना दी। नक्सलियों के दबाव में आकर ग्रामीणों ने सड़क बनाने में बाधा डालने की कोशिश की थी लेकिन यह सड़क बनाई गई। गोरना से मनकेली के लिए लगभग 8-10 किमी तक सड़क का काम नक्सली दबाव के कारण बन नहीं पाई है। प्रशासन इस मार्ग को मनकेली तक बनाने के लिए प्रयासरत है। वहीं आठ दिनों से चार लोगों का लापता होना इस सड़क का कारण माना जा रहा था।