नई दिल्ली। भारत में समलैंगिक विवाह को काफी समय से मान्यता देने की मांग हो रही है। समलैंगिक विवाह को मान्यता की मांग को लेकर विभिन्न हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। इसके साथ ही अदालत में इसकी सुनवाई भी टल गई है। मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।
केंद्र से 15 फरवरी तक मांगा जवाब
कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र से 15 फरवरी तक समान लिंग विवाह पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही सभी याचिकाओं को मार्च तक सूचीबद्ध करने का निर्देश भी दिया है। बता दें कि मामले में पिछली सुनवाई 14 दिसंबर 2022 को हुई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीए एस नरसिम्हा की दो सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
अपराध नहीं है समलैंगिक यौन संबंध
समलैंगिक यौन संबंध भारत में अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। हालांकि, समलैंगिक विवाह को अभी तक मान्यता नहीं मिल सकी है।
हाईकोर्ट में 9 याचिकाएं दायर
अर्जेटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, क्यूबा, डेनमार्क और फिनलैंड समेत 32 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता मिल चुकी है। समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने की मांग सबसे पहले हैदराबाद में रहने वाले समलैंगिक जोड़े सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने की थी। दोनों ने एक याचिका भी दायर की थी। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट में 9 याचिकाएं दायर की गई हैं।