छत्तीसगढ़

WFI विवादः अब सरकार हुई पहलवानों से नाराज, फैसले की बगावत पर आया गुस्सा

नईदिल्ली I भारतीय कुश्ती का विवाद जारी है और अब पहलवानों और केंद्र सरकार के बीच भी नाराजगी बढ़ती दिख रही है. भारतीय कुश्ती फेडरेशन (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण जैसे संगीन आरोप लगाकर और उनके खिलाफ धरने पर बैठकर बीते हफ्ते पहलवानों ने तूफान खड़ा कर दिया था, जिसके बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें जांच का आश्वासन दिलाकर धरना खत्म किया था. अब इस जांच को लेकरगठित कमेटी पर पहलवानों की प्रतिक्रिया ने सरकार को ही नाखुश कर दिया है. इसके साथ ही कमेटी का पुनर्गठन नहीं करने का फैसला किया है.

पिछले हफ्ते के विवाद के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और रवि दहिया जैसे प्रदर्शनकारी पहलवानों से बात कर एक निगरानी समिति के गठन का भरोसा दिलाया था. सोमवार 23 जनवरी को खेल मंत्रालय ने ओलिंपिक मेडलिस्ट और दिग्गज बॉक्सर एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता में 5 सदस्यों वाली समिति गठित की थी. हालांकि, इस पर पहलवानों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि वादे के मुताबिक उनसे मशविरा नहीं किया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने साफ किया है कि सरकार समिति का फिर से गठन नहीं करेगी. मंत्रालय के एक सूत्र ने बुधवार को पीटीआई से कहा,मंत्रालय की WFI प्रमुख के खिलाफ आरोपों की जांच के लिये गठित निगरानी समिति के पुनर्गठित करने की कोई योजना नहीं है. हमने एमसी मैरीकॉम की अगुआई में एक निष्पक्ष समिति का गठन किया है जो मामले की जांच करेगी.

योगेश्वर दत्त से परेशानी?

इतना ही नहीं, इस सूत्र ने साथ ही कहा कि सरकार पहलवानों के व्यवहार से खुश नहीं है क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से समिति के गठन पर आपत्ति जतायी. सूत्रों के अनुसार विरोध कर रहे पहलवान लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर को WFI अध्यक्ष का करीबी मानते हैं. बीते सप्ताह जब योगेश्वर ने आरोपों से घिरे WFI अध्यक्ष बृजभूषण का समर्थन किया तो विनेश ने कहा था कि वह WFI की गोद में बैठा है.

केंद्र सरकार ने जो समिति बनाई, उसमें मैरीकॉम और योगेश्वर के अलावा पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य तृप्ति मुरगुंडे, टॉप्स (TOPS) के पूर्व सीईओ राजगोपालन और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमन शामिल हैं. इसके ऐलान के अगले दिन मंगलवार को पहलवानों ने ट्विटर पर निराशा व्यक्त की थी.

पहलवानों को क्यों है आपत्ति?

हालांकि, अटलकों के विपरीत ओलिंपिक मेडलिस्ट और प्रदर्शनकारी पहलवान बजरंग ने साफ किया कि पहलवानों को योगेश्वर से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन समिति के सदस्यों के चुने जाने से पहले उन्हें उनसे मश्विरे की उम्मीद थी. बजरंग पूनिया ने पीटीआई से कहा, हम गणतंत्र दिवस समारोह के बाद खेल मंत्री से बात करना चाहेंगे. हमें समिति के किसी भी सदस्य से कोई परेशानी नहीं है लेकिन हमसे मश्विरा लिया जाना चाहिए था. एक चर्चा हुई थी जिसमें ये नाम आये थे लेकिन चर्चा के बाद हमसे कहा गया था कि नाम आकर बतायें. लेकिन हमारे सकारात्मक जवाब से पहले ही नामों की घोषणा कर दी गयी. सरकार को हमसे नाराज नहीं होना चाहिए. हमने क्या किया है, हम न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं.