छत्तीसगढ़

China Covid Policy: अपनी ही चाल में फंसा चीन, कोविड नीति से मिल रही चुनौती; रिपोर्ट में हैरान करने वाला दावा

बीजिंग। चीन को अब उसकी अपनी ही कोविड नीति को लेकर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की त्रुटिपूर्ण और पीछे धकेलनेवाली रोकथाम नीतियों और अप्रभावी घरेलू स्तर पर उत्पादित टीकों के कारण चीन को कोविड-19 से महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। GeoPolitica.info की रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है।

चीन में मरीजों से भरे अस्पताल

जानकारी के अनुसार, चीन से संबंधित कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि शंघाई और बीजिंग सहित अत्यधिक आबादी वाले शहरों के अस्पताल में रोगियों की बाढ़ आ गई है। दावा किया जा रहा है कि अस्पताल रोगियों से भरा पड़ा है। मालूम हो कि चीन में पिछले साल दिसंबर में कोविड-19 का प्रकोप चरम पर था।

कोविड नीति से चीन को मिल रही चुनौती

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार ने बिना किसी योजना के अपनी जीरो-कोविड नीति को हटा दिया। इसके तहत शुरुआती चरणों में कड़े कदम उठाए गए थे। वहीं, कोविड से बचने के लिए चीन ने नागरिकों को जिस प्रकार से यातना दी। वह किसी से छिपा नहीं है। कोविड के प्रसार को रोकने के लिए, चीन ने कड़े प्रतिबंध लागू किए थे।

चीनी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा असर

हालांकि, सीसीपी द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी गई है। माना जा रहा है कि चीनी सरकार द्वारा घोषित उपायों से मौतों को रोका जा सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। चीन ने अपनी आबादी का एक बड़ा हिस्सा COVID-19 से प्राकृतिक प्रतिरक्षा के बिना छोड़ दिया। इस कारण से लोगों की और अधिक मौत हुई।

कोविड वैक्सीन को लेकर चीन के गलत फैसले

बता दें कि चीन ने कोविड की शुरुआती चरणों में मॉडर्ना और फाइजर सहित अन्य विकसित टीकों को खारिज कर दिया था। ये फैसले चीन के राजनीतिक नेतृत्व को परेशान करने वाले और आम जनता के लिए घातक साबित हुए हैं, क्योंकि देश के स्थानीय स्तर पर निर्मित टीके जैसे सिनोवैक और सिनोफार्म अप्रभावी साबित हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अन्य देशों द्वारा निर्मित mRNA टीकों की तुलना में सिनोवैक की प्रभावशीलता अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बहुत कम साबित हुई, जब यह पता चला कि यह केवल 50% सुरक्षा प्रदान करती है।