कोंडागांव : पिछले कई साल से कोंडागांव जिले में 52 वन ग्रामों की सीमा प्रशासन नहीं बल्कि देवी-देवता के जरिए ही तय की जाती रही है। सीमा के मामले में जब भी विवाद होता है तो देव विग्रह को कंधे पर बिठाकर जिनती दूर तक ग्रामीण पहुंचते हैं, वहां तक गांव की सीमा तय मान ली जाती है। विवाद का प्रमुख कारण पंचायतों का प्रशासन द्वारा बंदोबस्त सर्वे का न होना है। पुरानी प्रक्रिया से गांव की सीमा तय करने पर न तो कोई रिकॉर्ड होता था और न ही काेई नक्शा।
कोंडागांव प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने लोगों की मांग पर जिले का बंदोबस्त कराने का निर्णय लिया। कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा बंदोबस्त का अंतिम कार्य चल रहा है। इससे ग्रामीणों में विवाद नहीं होंगे। सभी को ग्राम पंचायतों की सीमा पता होगी और सभी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
संक्युत कलेक्टर मनोज कुमार केसरिया ने बताया कि कोंडागांव जिले के 583 गांवों में 52 वन ग्राम हैं जिनमें 24 गांव राजस्व ग्राम में परिवर्तित हो चुके हैं। 28 गांवों का अंतिम सर्वे चल रहा है जो इसी महीने के अंत तक पूरे 52 वन ग्राम राजस्व ग्राम बन जाएंगे। पहले के 531 राजस्व ग्रामों का भी बंदोबस्त सर्वे होगा जो 1927 के बाद से नहीं हुआ था। रिकॉर्ड पुराना हो चुका था। कलेक्टर ने 18 जनवरी को अधिसूचना जारी कर राजपत्र में प्रकाशन के लिए भेज दिया है। प्रकाशन के बाद पुनः बंदोबस्त का कार्य होगा।
रिकॉर्ड दुरुस्त करने जुटा राजस्व अमला
नई पंचायतों के निर्माण के बाद विभाग द्वारा सरहदें तय नहीं किए जाने को लेकर ग्रामीणों में मारपीट की स्थितियां निर्मित होती रही। इससे निपटने के लिए अब जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर रिकॉर्ड के बंदोबस्त का कार्य कर रहा है।
राजस्व ग्राम बनने से ये होगा बदलाव
वनग्रामों में आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र, सड़क, सभी टैक्स जमा संबंधी अधिकार वन विभाग के पास होता है। राजस्व ग्राम बनने से सारे विकास सम्बंधित कार्य राजस्व विभाग के अधीन होंगे। वन ग्राम होने से राजस्व योजना का लाभ भी नहीं मिल पाता था।
लोग बोले- सर्वे में पुजारी, गायता को भी शामिल करें
जहां गांवों की सरहद दूसरे गांव से लगी होती हैं। वहां ज्यादा विवाद होते हैं। ग्रामीणों का कहना है अब जो बंदोबस्त सर्वे होगा उसमें गांव के सिरहा, पुजारी, पटेल, गायता को भी शामिल किया जाना चाहिए।