चेन्नई I मद्रास हाईकोर्ट की वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को जज बनाने को लेकर बवाल थमने को नाम नहीं ले रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ के 50 से अधिक वकील इस नियुक्ति का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इनमें से 58 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिखकर नाम वापस लेने पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। सभी वकीलों ने पत्र में कहा है कि गौरी के नाम पर असहमति जताने के बावजूद उनका नाम कॉलेजियम द्वारा वापस लेने से इनकार कर दिया गया है।
विक्टोरिया गौरी का भाजपा से रह चुका कनेक्शन: वकील
वकीलों ने कहा कि विक्टोरिया गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि है जिन्होंने राजनीतिक दलों के सदस्यों के रूप में भी काम किया है। उनका कहना है कि गौरी भाजपा की महिला मोर्चा की महासचिव रह चुकी हैं। साथ ही पत्र में कहा गया है कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका को कमजोर कर सकती हैं। वकीलों का मानना है कि गौरी के विचार संवैधानिक मूल्यों से काफी अलग हैं। उन्होंने गौरी की धार्मिक कट्टरता को लेकर आपत्ति दर्ज की है। साथ ही कहा है कि गौरी हाई कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में अयोग्य हैं।
विक्टोरिया गौरी का दावा- भाजपा से नहीं रहा अब नाता
बवाल के बाद विक्टोरिया गौरी ने इस मामले में सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के सभी पदों से जून 2020 में ही इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वह किसी भी तरह से राजनीति से नहीं जुड़ी हैं। वह बस अभी वकालत पर ध्यान दे रही है I