अलीगढ़ : पाक रमजान माह में इमाम इशहाक का परिवार रोजों से तो नहीं था, मगर मस्जिद व घर में इबादत जारी थी। ऐसे पाक माह में नृशंस वारदात ने जाकिर नगर में लोगों को हिलाकर रख दिया है। जिस बेटे ने रात में बेरहमी से मां-बाप का कत्ल किया है।
वही बेटा दिन में अपनी हरकतों की माफी मांगते हुए मां-बाप के सीने से लिपटकर रोया था। मां-बाप ने भी माफी दे दी थी। मगर शायद उन्हें अंदाजा न था कि यह रात उनकी आखिरी रात होगी। शाम को मां ने बेटे को खाने में मसूर की दाल बनाकर दी और पूरा परिवार हंसी-खुशी सोया।
आधी रात को जब चीख पुकार मची तो सब हैरान रह गए। कत्ल को जंगले से लाइव देखते परिजनों व वायरल वीडियो के अनुसार बेटा दो मिनट तक लगातार कैंची से वार करता रहा और जान लेने तक नहीं रुका।
28 मार्च को माता-पिता की शिकायत ले बुलंदशहर के एक थाने पहुंचा था गुलाम
मस्जिद में इमामत करने वाले इशहाक मदरसे में बच्चों को पढ़ाते भी थे। उनके चार बच्चों में सबसे बड़ी बेटी 23 वर्षीय मजहबी, फिर आरोपी बेटा गुलाम मुईउद्दीन, इसके बाद 16 वर्षीय बेटी बुशरा व 12 वर्ष का बेटा गुलाम मुस्तफा हैं।
पिछले दो वर्ष से वह अपनी मां और मां का सहयोग देने पर पिता से खफा रहने लगा था। इसी क्रम में सोमवार को मां ने उसे किसी बात पर डांट दिया था। इस पर नाराज होकर वह घर से निकल गया। वह 28 मार्च को बुलंदशहर के रामघाट थाने पहुंच गया।
जहां उसने अपने माता-पिता पर खुद की हत्या की साजिश का आरोप लगाया। इस सूचना पर पिता यहां से गए और उसे लेकर आए। उसी शाम उसे मेडिकल कॉलेज से दवा भी दिलाई। बुधवार को दिन में वह अपनी गलती पर मां-बाप से लिपटकर खूब रोया और दिन में दो घंटे सोया। देर शाम को पिता के मस्जिद से लौटकर आने के बाद सभी ने एक साथ खाना खाया और सो गए।
पानी पीने उठा और डर का बहाना बना पिता को जगाया
बड़ी बेटी के अनुसार रात करीब 12:30 बजे गुलाम मुईउद्दीन पानी पीने उठा और उसने पिता को यह कहते हुए जगाया कि उसे डर लग रहा है। अंदर कमरे में चलकर सोते हैं। इस पर पिता उसे मां के पास कमरे में ले गए।
जहां बेटे को दीवान पर लिटा खुद पत्नी के साथ जमीन पर लेट गए। इसी बीच बेटे ने कमरा अंदर से बंद किया और फिर वारदात को अंजाम दिया। जब मां-बाप की चीख पुकार सुनी तो मजहबी सहित तीनों भाई बहनों ने जंगले से उसे खूब रोकने का प्रयास किया।
मगर वे कुछ न कर सके और आंखों के सामने मां-बाप का कत्ल देखते रहे। यह देख दोनों छोटे बच्चे दहशत में बेहोश हो गए। जिन्हें अस्पताल तक भेजा गया।
दो वर्ष से मां के सौतेली होने का पाला वहम
पुलिस जांच व परिजनों से पूछताछ में साफ हुआ कि दो वर्ष पहले आरोपी बेटे को डेंगू हुआ था। इस दौरान उसका जेएन मेडिकल कॉलेज में उपचार हुआ। जहां रक्त की जरूरत के लिए उसका व माता-पिता का सैंपल लिया गया। तभी किसी ने मजाक में यह कह दिया कि उसका डीएनए सैंपल लिया गया है, जिसका उसके पिता से तो मिलान हो गया है, मगर मां से नहीं हुआ। तभी से उसके मन में मां के सौतेली होने का वहम पल गया।
परिजनों से बातचीत में यह तथ्य उजागर हुआ कि इशहाक की पहली शादी हुई थी। मगर उस महिला से कोई संतान नहीं हुई और डेढ़ वर्ष बाद ही पहली पत्नी छोड़कर चली गई। इसके बाद कोटा राजस्थान की शहजादी बेगम से दूसरी शादी हुई। चारों संतानें भी शहजादी बेगम से ही हैं।
इस बात की पुष्टि खुद रामपुर से आए इशहाक के बड़े भाई याकूब अली ने की है। मगर डीएनए वाले किस्से के बाद से आरोपी बेटा मानने लगा था कि यह उसकी सौतेली मां है। तीनों भाई बहनों को भी वह सौतेला मानने लगा था। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि मां उसे खाने में धीमा जहर दे रही थी। इससे वह बीमार रहने लगा था।
उसने एक तर्क यह भी दिया कि एक दिन उसकी चाय में मक्खी गिर गई और वह मर गई। उसके बाद से उसका शक और पुख्ता हो गया था। खुद बड़ी बहन इस कदर दहशत में है कि कोई बड़ी बात नहीं कि सौतेले के संदेह में वह जेल से छूटकर आने के बाद उन तीनों की हत्या कर दे।