अंबिकापुर : छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को बिलासपुर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। उन पर अंबिकापुर के सत्तीपारा स्थित बांध मद की जमीन को बेचने का आरोप है। कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री को 11 अप्रैल को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जल संरक्षण एवं पर्यावरण के लिए कार्य करने वाली संस्था तरु नीर समिति की ओर से याचिका दायर की गई थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच में हुई है। वहीं सिंहदेव का कहना है कि एनजीटी पहले ही मामले को खारिज कर चुकी है।
मामला अंबिकापुर शहर के मध्य स्थित मौलवी बांध के 52 एकड़ जमीन का है। सरगुजा राजपरिवार की वो जमीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के नाम पर है। इसका खसरा नंबर 3467 रकबा 52.06 एकड़ का है। अंबिकापुर की तरू नीर समिति ने 20 मार्च को उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि, तालाब को टीएस सिंहदेव की ओर से पाट कर जल क्षेत्र को बंद किया जा रहा है। उक्त भूमि में से 128 व्यक्तियों को टुकड़ों-टुकड़ों में तालाब की भूमि को करोड़ों रुपए में बेचा जा रहा है।
11 अप्रैल को प्रस्तुत करना होगा जवाब
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चन्द्रवंशी के बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिहंदेव को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि टीएस सिंहदेव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर या फिर अपने वकील के माध्यम से 11 अप्रैल को अपना जवाब प्रस्तुत करें। यदि आपकी ओर से 11 अप्रैल को अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो याचिका की सुनवाई करते हुए एकतरफा निर्णय लिया जाएगा।
1996 में बदला गया था लैंड यूज
तरू नीर समिति ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि शिवसागर तालाब व मौलवी बांध जो सेटलमेंट रिकार्ड में सार्वजनिक निस्तार के जलस्रोत के मद के रूप में रकबा 52 एकड़ दर्ज है। जल स्रोत आजादी के बाद राजपरिवार के नाम दर्ज हुई थी। नवंबर 1996 को सरगुजा कलेक्टर ने यह बताते हुए कि 21 एकड़ में जलस्रेात है शेष 33.18 भूमि को आवासीय व व्यवसायिक मद में बदल दिया। कलेक्टर द्वारा लैंडयूज बदले के बाद तालाब में निर्माण सामाग्री पाटी गई और भवन व अन्य निर्माण कार्य कराए गए। कोलोनाइजर द्वारा यहां कालोनी का निर्माण कराया गया है।
सिंहदेव ने कहा- हमारी पुश्तैनी जमीन, भारत सरकार से संधि में मिली
वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, शिव सागर बांध का जो एरिया है ये उनकी पुश्तैनी जमीन है। वो 1947 में भारत सरकार और सरगुजा राजपरिवार के बीच हुई संधि में उल्लेखित है। 2017 में इस जमीन की शिकायत तरु नीर समिति ने राज्य सरकार से की थी। तब तत्कालीन कलेक्टर ने शिकायत खरिज करते हुए रिपोर्ट राज्य सरकार को दी थी। वर्ष 2018 में आलोक दुबे ने एनजीटी में याचिका दर्ज की। इसमें तरु नीर की शिकायत का भी उल्लेख किया। वर्ष 2019 में एनजीटी ने इस मामले को खारिज किया और भूमि के विवाद पर पूर्ण विराम लगाया।
मुझे नोटिस की जानकारी नहीं
सिंहदेव ने कहा कि, मीडिया के साथियों के माध्यम से उनको जानकारी मिली है कि फिर से तरु नीर ने मुझे शिव सागर बांध के मामले में पार्टी बनाने के लिए उच्च न्यायालय के सामने मांग की है। ये नोटिस अभी तक मुझे प्राप्त नही हुआ है। मीडिया के साथियों के द्वारा भेजे गए दस्तावेज का अध्ययन कर यह प्रतीत होता है कि न्यायालय ने मुझे ऐसा कहा है कि मामले में तरु नीर समिति ने आपको पक्ष बनाने की मांग की है। अभी न्यायालय में प्रकरण चल रहा है, तो तथ्यों पर कुछ कहना उचित नही होगा, लेकिन इस मामले की पृष्ठभूमि से ये साफ है कि कौन लोग और किस उद्देश्य से बार बार इस मामले को उठाते हैं।