दुर्ग. शिशु मृत्यु दर में कमी लाने राज्य और केंद्र सरकार करोड़ों रुपए स्वास्थ्य मंत्रालय के माध्यम से खर्च कर रहे हैं, लेकिन दुर्ग जिले के भिलाई स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में नर्स की लापरवाही ने एक नवजात बच्चे की जान ले ली. परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्स ने क्रिटिकल केस होने के बाद भी जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी करनी चाही. उसने प्रसूता को दर्द के इंजेक्शन देने के साथ पेट को इतना पुस किया कि बच्चे की मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने मामले की जांच करने की बात कही है.
भिलाई तीन चरोदा वार्ड 27 निवासी उमेश कुमार रवानी ने बताया कि उसकी पत्नी संतोषी रवानी को बच्चा होना था. उसने उसे 29 मार्च को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में भर्ती कराया था. सभी जांच के बाद डॉक्टरों ने संतोषी को प्रसूता वार्ड में एडमिट कर लिया. 30 मार्च की रात अचानक संतोषी को लेबर पेन होने लगा. जब नर्स को बुलाया तो वो चिल्लाने लगी.
नर्स का कहना था कि उसकी शिफ्ट खत्म हो गई है. उसी समय लेबर पेन होना था. घर वालों ने दबाव बनाया तो नर्स उसे ओटी ले गई. वहां उसने उसे दर्द के इंजेक्शन लगाए और जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी कराने की कोशिश करने लगी. बच्चे के गले में नाल फंसे होने के चलते उसका दम घुटने लगा और वो पेट के अंदर ही मर गया. जब बच्चा मृत पैदा हुआ तो नर्स ने तुरंत उसे दुर्ग अस्पताल रेफर कर दिया.
इस मामले में सुपेला अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वामी देव भूपेंद्र देवांगन का कहना है कि अस्पताल में गायनकोलॉजिस्ट नहीं है. वो एक डॉक्टर के भरोसे किसी तरह इलाज कर रहे हैं. ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी करने में परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि इसके लिए उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है. देवांगन सिस्टर ने डिलीवरी कराई थी. देवांगन सिस्टर ने कहा कि उन्हें घर जल्दी जाना है तो ये गलत है. बच्चे की यदि लापरवाही से मौत हुई थी तो उसका पीएम होना था, लेकिन उसे दुर्ग अस्पताल भेजा गया. वहां उसे दफनाया क्यों गया, इस बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं.