मैसूर : मां-बाप को भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है. यही चरितार्थ करने के लिए कलयुग के ‘श्रवण कुमार’ अपनी मां को कई देशों की यात्रा करा रहे हैं. कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले दक्षिणमूर्ति कृष्ण कुमार 16 जनवरी, 2018 से अपने स्कूटर पर अपनी 73 वर्षीय मां की बकेट लिस्ट को पूरा करने के लिए यात्रा पर हैं. 44 वर्षीय पूर्व कॉर्पोरेट मैनेजर कृष्ण कुमार अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं और अभी तक शादी नहीं की.
वे पिछले पांच वर्षों में अपनी मां के साथ लगभग 66,000 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और देश भर के लगभग सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के साथ-साथ नेपाल, भूटान, म्यांमार आदि भी जा चुके हैं. कृष्ण कुमार अपनी मां चूड़ारत्नम्मा को स्कूटर पर बैठाकर तीर्थ यात्रा करा रहे हैं.
मां के साथ इस तरह यात्रा पर क्यों निकले?
कृष्ण कुमार ने प्रयागराज पहुंचने के बाद टीओआई से कहा कि मैं 16 जनवरी 2018 से इस ‘मातृ सेवा संकल्प यात्रा’ पर हूं, क्योंकि मेरी मां अपने पूरे जीवन में चार दीवारों और एक छत तक ही सीमित रही थीं, इसलिए मैं उन्हें दुनिया दिखाना चाहता था. अब वे वाराणसी जाएंगे और वहां किसी आश्रम, मंदिर या मठ में रहने के बाद मां-बेटे की जोड़ी कुछ धार्मिक स्थलों का दर्शन करने बिहार जाएगी और उसके बाद काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करेगी.
ट्रिप के लिए स्कूटर ही क्यों चुना?
तेज गति से चलने वाली ट्रेनों के युग में उन्होंने इस पुराने स्कूटर को क्यों चुना, इसपर कुमार ने कहा कि स्कूटर मुझे मेरे पिता (जो वन विभाग में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे) ने दिया था जब मैंने 2001 में अपना डिप्लोमा पूरा किया. 2015 में उनका निधन हो गया था. यात्रा के दौरान अपने पिता की उपस्थिति महसूस करने के लिए स्कूटर पर निकले. उन्होंने बताया कि आमतौर पर हम एक दिन में लगभग 150 किमी की यात्रा करते हैं और इस दौरान कोई टाइम फिक्स नहीं करते. क्योंकि मैं अपनी मां के लिए यह कर रहा हूं, इसलिए मैं उनकी इच्छा के अनुसार आगे बढ़ता हूं.
आश्रम या मठ में रहते हैं, खाते हैं शाकाहारी खाना
दोनों केवल आश्रम या मठ में ही रहते हैं और किसी से एक पैसा भी नहीं लेते. दिन में सिर्फ दो बार सादा शाकाहारी खाना खाते हैं. वे बीच-बीच में चाय, कॉफी या कोई भी स्नैक्स नहीं लेते हैं. उन्होंने बताया कि पूरे दिन के लिए, हम सिर्फ दोपहर का भोजन (लगभग 11:00 बजे) और रात का खाना लगभग 8:00 बजे लेते हैं और बीच में हम कुछ भी नहीं खाते या पीते हैं. इससे हम दोनों स्वस्थ और फिट रहते हैं.
लॉकडाउन के दौरान फंस गए थे भूटान में
पवित्र शहरों और धर्मस्थलों की सड़क यात्रा हमेशा आरामदायक नहीं रही है. कृष्ण कुमार ने बताया कि मुझे अभी भी याद है कि हम दोनों 2020 में कोविड की वजह से लॉकडाउन के दौरान 52 दिनों के लिए भूटान की सीमा पर फंस गए थे और मैसूर पहुंचने के लिए एक सप्ताह में 2,673 किमी की दूरी तय करने से पहले एक दिन में 427 किमी की यात्रा की थी.