झांसी: तमाम मीडिया हाउसेज असद के एनकाउंटर की खबरों को सबसे पहले ब्रेक करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस एनकाउंटर की पहली जानकारी उस शख्स को मिली थी जिसके घर के सामने इस एनकाउंटर को अंजाम हुआ था।पारीछा डैम पर जाने के लिए मुख्य नहर के दोनों तरफ रास्ता बना हुआ है। एक मुख्य रास्ता पक्का डमरीकरण का बना हुआ है, जबकि दूसरी ओर का रास्ता कच्चा है, जहां से बहुत कम लोग आते-जाते हैं। इस कच्ची सड़क पर ही बदमाशों का एनकाउण्टर हुआ है।
इस रास्ते पर चन्द कदम की दूरी पर दीवार के उस तरफ सिंचाई विभाग के कर्मचारी अशोक का सरकारी आवास है। अशोक ने बताया कि दोपहर को अचानक गोली चलने की आवाजें आयीं, जिससे वह पहले तो घबरा गए, लेकिन बाद में सोचा कि सड़क पर कोई काम चल रहा होगा, जिसकी आवाजें हैं।
इसके कुछ देर बाद जब पुलिस की गाड़ियां आयीं तो पता चला कि गोलियों की आवाज थी और पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हुई हैं।
बांध पर एकान्त में रहने वाले अशोक बताते हैं कि इस सरकारी में उनकी चौथी पीढ़ी रह रही हैं। उनके परदादा स्व. सुम्मेर सिंचाई विभाग में कार्यरत थे। इसके बाद उनके दादा रतीराम रहे और इसके बाद उनके पिता बन्नी की नौकरी लगी वह भी यहीं रहते थे।
पिता की मृत्यु के बाद उनकी विभाग में नौकरी लग गयी तो वह अपने बच्चों के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि चौथी पीढ़ी यहीं पर रहती चली आ रही हैं, जन्म भी यहीं होने से उनको एकान्त में भी न तो कोई परेशानी होती है और न ही यहां पर कोई डर लगता है।