नई दिल्ली। साकेत कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीषा खुराना कक्कड़ की अदालत ने सोमवार को एक समाचार चैनल को श्रद्धा हत्याकांड से संबंधित मीडिया सामग्री के प्रसारण मामले में एक आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, चैनल श्रद्धा मामले के साइकोलॉजिकल असेसमेंट एंड वाइस लेयर टेस्ट, नार्को टेस्ट और डाक्टर प्रैक्टो ऐप में रिकॉर्डेड बातचीत से संबंधित किसी भी वीडियो का प्रसारण 20 अप्रैल तक न किया जाए।
साथ ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली पुलिस मामले से संबंधित सामग्री का उपयोग करने से चैनल को रोकने के लिए किसी भी संबंधित संवैधानिक न्यायालय या उच्च न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र है। मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।बता दें कि दिल्ली पुलिस की ओर से मामले में श्रद्धा हत्याकांड से संबंधित किसी भी तरह की मीडिया सामग्री के प्रसारण व प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की गई थी।
सुनवाई के दौरान एसपीपी अमित प्रसाद ने कहा कि एक चैनल कुछ रिकार्डिंग/ट्रांसक्रिप्ट और अन्य डिजिटल सामग्री प्रसारित करना चाहता है। ये रिकार्डिंग संवेदनशील हैं और यदि इसका प्रसारण किया जाता है तो इससे न केवल अभियुक्त के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, बल्कि कानून और व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ेगीइसके पक्ष में उन्होंने कई आदेश कोर्ट के समक्ष पेश किए। एसपीपी अमित प्रसाद ने यह भी कहा कि इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन 74 और 76 के अनुसार, आरोपपत्र और उसके साथ संलग्न कोई भी कागजात सार्वजनिक कागजात नहीं हैं। आरोपित आफताब के वकील अक्षय भंडारी ने भी इसे अपनी सहमति प्रदान की।
इस दौरान चैनल की ओर से आए वकील ने तर्क दिया कि सीआरपीसी के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो इस अदालत को इस तरह के किसी भी प्रतिबंध या आदेश को पारित करने का अधिकार दे सके और यह अधिकार केवल संवैधानिक अदालतों के पास है।
लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश किए गए एक आदेश के अनुसार, किसी भी मामले में एक बार कार्यवाही शुरू हो जाने के बाद, न्याय प्रशासन में मीडिया की कोई भूमिका नहीं रह जाती है। इसके चलते कोर्ट में चैनल के वकील ने अंडरटेकिंग दी कि उक्त चैनल अगले तीन दिनों तक मामले से संबंधित उक्त सामग्री का प्रकाशन अथवा प्रसारण नहीं करेगा।