नई दिल्ली : 24 अप्रैल यानी आज का दिन क्रिकेट प्रेमियों के लिए बेहद ही खास दिनों में से एक है। भारत में क्रिकेट के भगवान का दर्जा पाने वाले सचिन तेंदुलकर का आज 50वां जन्मदिन है। इंटरनेशनल क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने वाले इस महान बल्लेबाज का कद भले ही छोटा रहा, लेकिन उनके काम एवरेस्ट से भी विशाल रहे।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़े कई खुलासों को आमतौर पर शेयर करते हुए कम देखा गया है, लेकिन उन्होंने अपनी रकिताब प्लेइंग इट माई वे में पूरी जिंदगी के उन किस्सों को खुलकर बताया है, जिसे बेहद ही कम लोग जानते है।
ऐसे में सचिन के 50वें जन्मदिन पर हम आज आपको एक ऐसा ही किस्सा बता रहे हैं, जब बचपन में अपनी एक जिद को लेकर सचिन बालकनी से कूदने को तक तैयार हो उठे थे।
दरअसल, क्रिकेट के भगवान कह जाने वाले सचिन तेंदुलकर बचपन में अपने शौक पूरे करने के लिए काफी जिद किया करते थे। हर बच्चे की तरह उनकी भी काफी डिमांड होती थी, लेकिन परिवार में पैसों की तंगी के चलते उनके पिता उन्हें कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करते थे। सचिन ने अपनी किताब में एक ऐसी ही घटना का जिक्र किया है, जिसे वो आज तक कभी भी नहीं भूल सके है।
सचिन ने लिखा कि बचपन में हर लड़के की तरह उन्हें भी नई साईकिल लेने की जिद रहती थी, लेकिन उनके पिता (रमेश तेंदुलकर, मराठी कवि) वो अक्सर टाल देते थे। बार-बार इसे टालता देख सचिन एक दिन काफी नाराज हुए और उन्होंने ये जिद ठान ली कि जब तक साइकिल नहीं मिलेगी वो बाहर खेलने नहीं जाएंगे। बालकनी में खड़े होकर वो अपने दोस्तों को साइकिल चलाता देखते थे, इसी बीच एक दिन उनका सिर बालकनी में लगी ग्रिल में फंस गया।
सचिन ने उस घटना के बारे में बताया कि वो खुद उस समय डर गए थे और सचिन को देख उनके माता-पिता भी काफी डर गए। उस समय सचिन चौथी मंजिल पर थे, क्योंकि बालकनी छोटी थी और जैसे ही उनका ग्रिल में सिर फंसा तो वो निकला ही नहीं। कुल 30 मिनट तक उनके घरवालों ने उनका सिर निकालने की कोशिश की, अंत में उनकी मां ने बहुत तेल डालकर उनका सिर ग्रिल से बाहर निकाला।
इसके बाद उनके घरवालें काफी परेशान थे और उनके पिता ने इस घटना के बाद पैसे इक्ट्ठा कर उन्हें नई साइकिल दिलाई। लेकिन नई साइकिल के बाद उनका एक एक्सीडेंट हुआ और उनके पिता ने कहा कि जब तक वो पूरे ठीक नहीं होते वो बाहर खेलने नहीं जाएंगे।