नईदिल्ली : सूरत सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट में 29 अप्रैल को सुनवाई होगी। दरअसल, सूरत की कोर्ट ने मोदी उपनाम से जुड़ी टिप्पणी से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राहुल ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। मामले में एक जज के खुद को अलग कर लेने के बाद अब एक नए न्यायाधीश की ओर से मामले की सुनवाई की जाएगी।
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट की एक जज ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। राहुल गांधी की वकील वकील पीएस चंपानेरी ने न्यायमूर्ति गीता गोपी की अदालत के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी। याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद उन्होंने कहा कि मेरे सामने नहीं।
गौरतलब है कि सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ राहुल गांधी ने मंगलवार को गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जज द्वारा खुद को सुनवाई से अलग किए जाने के बाद राहुल गांधी की वकील ने जानकारी दी। कांग्रेस नेता की वकील चंपानेरी ने कहा कि अदालत ने पहले उन्हें मामले को बुधवार को सुनने के लिए अनुमति दी थी, लेकिन जब यह सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
किस मामले में हुई राहुल को सजा?
राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की अदालत ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए कुछ दिन की मोहलत भी दी थी। इसके साथ ही उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी थी। राहुल ने सूरत की कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की थ्राीं, जिनमें एक को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और दूसरी पर तीन मई को सुनवाई होनी है।
राहुल ने क्या कहा था?
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
राहत नहीं मिली तो राहुल के लिए आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है। इसके साथ ही अगले छह साल के लिए वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है। राहुल की सांसदी चली गई है। अगर कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिलती है तो राहुल 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।