छत्तीसगढ़

नर्सरी में बच्चों के प्रवेश के दौरान स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने को लेकर दिल्ली HC में याचिका दायर

नई दिल्ली। दिल्ली में छोटे बच्चों का स्कूलों में (नर्सरी, प्री-नर्सरी) दाखिला करते वक्त होने वाली स्क्रीनिंग प्रक्रिया को रोकने के लिए साल 2015 में एक विधेयक लाया गया था, जो कि अभी तक लटका हुआ है। अब इसी मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में दिल्ली स्कूल शिक्षा विधेयक, 2015 को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को तेज करने मांग की है।

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच फंसा बिल

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूल 3 साल से कम उम्र के बच्चों की स्क्रीनिंग करने की प्रक्रियाओं दाखिले के वक्त अनैतिक रूप से आजमा रहे हैं।  याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2015 नामक एक बाल-सुलभ विधेयक स्कूलों में नर्सरी प्रवेश में स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए पिछले 7 वर्षों से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच बिना किसी औचित्य के लटका हुआ है।

बता दें कि याचिकाकर्ता एक एनजीओ है, जिसका नाम सोशल ज्यूरिस्ट है। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला है कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (संशोधन)विधेयक, 2015 का बहुत उद्देश्य और उद्देश्य छोटे बच्चों को निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिले के मामले में शोषण और अन्यायपूर्ण भेदभाव से बचाना है जो वास्तव में है केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा इसे अंतिम रूप देने और इसे कानून बनाने में देरी से हार गई हैं।

7 सालों से लटका है बिल

याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 किसी स्कूल में बच्चे के प्रवेश के मामले में स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं को प्रतिबंधित करता है और इसे कानून के तहत दंडनीय अपराध बनाता है। हालांकि, 2009 का आरटीई अधिनियम, 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर लागू नहीं होता है और इसी वजह से नर्सरी कक्षा में प्रवेश पर वाले बच्चों पर लागू नहीं होता है। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि 2015 में दिल्ली विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित होने वाला बिल 7 साल बाद भी लटका हुआ है।