छत्तीसगढ़

आतंकी इंडस्ट्री का प्रवक्ता है पाक , बिलावल के बयानों पर जमकर बरसे जयशंकर; बोले- सिर्फ PoK पर होगी बात

बेनोलिम (गोवा)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत पहुंचकर पाक मीडिया के साथ वार्ता में कश्मीर मुद्दे को उठाने और आतंकवाद पर अपने आपको पीड़ित बताने की पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की रणनीति बहुत भारी पड़ गई।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार शाम आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को न सिर्फ बेनकाब कर दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर को लेकर भारत उसकी एक भी नहीं सुनने वाला और अगर कश्मीर पर कोई बातचीत होगी तो वह सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लाने पर होगी।

बिलावल की तरफ से आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग करने की अपील पर जयशंकर का दो टूक जवाब था कि भारत आतंकवाद से पीड़ित है और उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले से कोई बात नही करनी। जयशंकर ने पाक विदेश मंत्री को आतंकवाद को न्यायसंगत ठहराने वाला और उसका समर्थन करने वाला बताया।

पाकिस्तान का मुख्य आधार है आतंकवाद

उन्होंने कहा कि आतंकवाद पाकिस्तान का मुख्य आधार है और वह उसका प्रवक्ता भी है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके गिरते विदेशी मुद्रा भंडार से भी खराब है।

एससीओ विदेश मंत्रियों के परिषद की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में विदेश मंत्री जयशंकर का रवैया बहुत ही आक्रामक था। इसकी कई वजहें बताई जा रही हैं। एक कर्नाटक चुनाव, दूसरा राजौरी में आतंकी हमला और तीसरा, बिलावल की तरफ से दिए गए साक्षात्कार व प्रेस कांफ्रेंस में कश्मीर का मुद्दा उठाना।

बिलावल ने कहा है कि कश्मीर में जब तक वर्ष 2019 से पहले वाली स्थिति बहाल नहीं होगी, तब तक भारत के साथ राजनीतिक संबंध कायम नहीं किए जाएंगे। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को ही आतंकवाद का पीडि़त बताते हुए भारत के साथ सहयोग की अपील की थी। इन सभी विषयों पर जयशंकर ने एक-एक करके जवाब दिया। 

उन्होंने कहा, ‘पाक विदेश मंत्री एससीओ का सदस्य होने के नाते भारत आए थे और उसी हिसाब से उनके साथ व्यवहार किया गया, लेकिन पाकिस्तान आतंकवाद को न्यायसंगत बताने वाला, उसे प्रोत्साहित करने वाला देश है और उसे यह बताना पड़ेगा। मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आतंकवाद पाकिस्तान का मुख्य आधार है और वह उसका प्रवक्ता भी है।’

”सिर्फ PoK को वापस लेने पर होगी बात”

बिलावल ने कश्मीर में जी-20 बैठक के आयोजन पर भी आपत्ति जताई थी। इस पर जयशंकर ने कहा, ‘जो देश जी-20 का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें इस बारे में बोलने का कोई हक नहीं है। जहां तक कश्मीर की बात है तो भारत जिस तरह से अपने दूसरे राज्यों में जी-20 बैठकों का आयोजन कर रहा है, उसी तरह से यहां भी करेगा। जम्मू व कश्मीर हमेशा ही भारत का हिस्सा है और रहेगा। अगर इस पर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो सिर्फ उसके कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने को लेकर होगी।’ 

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा सुझाव है कि वह अब जागे और सच को स्वीकार करे कि अनुच्छेद-370 अब इतिहास है, इसे जितनी जल्दी स्वीकार कर लिया जाए, वह बेहतर है।’

आतंकवाद पर भारत के साथ बैठकर बात करने की पाकिस्तानी अपील पर जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद से पीड़ित इसको बढ़ावा देने वाले से बात नहीं करते, बल्कि इसका विरोध करते हैं। हमें आतंकवाद पर सीख देना कि हम एक ही जहाज में सवार हैं, को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जयशंकर ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारिडोर (CPEC) परियोजना का मुद्दा भी उठाया। एससीओ बैठक में चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने इसकी जोरदार पैरवी की थी। जयशंकर ने कहा कि कनेक्टिविटी से विकास होता है, लेकिन इससे किसी दूसरे सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। यह हमारा पुराना मत है और किसी को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि यह बदला है।

चीन को भी दिखाया आईना, कहा- एलएसी पर स्थिति सामान्य नहीं

पाकिस्तान के बाद जयशंकर ने चीन को भी आड़े हाथों लिया। खास तौर पर जिस तरह से वह सीमा विवाद को सामान्य बताने की कोशिश कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है। भारत और चीन के रिश्ते भी सामान्य नहीं हैं और ये तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमा पर अमन व शांति की बहाली नहीं हो जाती। यह बात मैंने चीन के विदेश मंत्री से मार्च, 2023 में जी-20 बैठक के दौरान मुलाकात में भी कही थी।