अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने 40 जजों की पदोन्नति रद्द कर दी है। सभी को पुराने पदों पर भेज दिया है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने योग्य पाए गए 21 जजों की पदोन्नति बरकरार रखी है। यह फैसला जजों की हालिया पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद आया है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को जारी दो नोटिफिकेशन के जरिए 40 जजों की पदोन्नति रद्द कर दी। जबकि 21 अन्य का प्रमोशन बरकरार रखा लेकिन उनकी पोस्टिंग बदल दी। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के रूप में सूरत के मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा (एचएच वर्मा) की पदोन्नति को बरकरार रखा। एचएच वर्मा ने मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी।
12 मई को न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जजों की पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। पदोन्नति 2011 में संशोधित गुजरात राज्य न्यायिक सेवा नियम 2005 का उल्लंघन थी। हाईकोर्ट ने कहा पदोन्नति योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत और उपयुक्तता परीक्षा उत्तीर्ण करने पर की जानी चाहिए। हालांकि, गुजरात की ज्यूडिशरी में अपने फैसले से हड़कंप मचाने वाले जस्टिस एम आर शाह को सेवानिवृत्त हो गए हैं। प्रमोशन की प्रक्रिया के विवाद में आने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 40 जजों के नामों का चयन फिर से किया जाएगा। रोक से नाराज जजों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अब जुलाई माह में शीर्ष अदालत याचिका पर सुनवाई करेगी।