नई दिल्ली । सहारा इंडिया की चार सोसायटियों में दस करोड़ निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये वर्षों से अटके हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिसंबर से पहले तक सारे पैसे लौटाने हैं। गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर मंत्रालय पैसे वापसी की प्रक्रिया पूरी करने में जुटा है। प्रयास है कि चार-पांच महीने में ही सारे पैसे पारदर्शी तरीके से लौटा दिए जाएं।
मंत्रालय की प्रारंभिक कवायद के मुताबिक, निवेशकों को चेक माध्यम से पैसे लौटाए जाएंगे। वापसी की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। वास्तविक निवेशकों को उचित पहचान और साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद ही भुगतान किया जाएगा। उनकी जमा राशि और उनके दावों के मिलान के बाद ही उनके बैंक खातों में जमा किया जाएगा।
सहारा की सोसायटियों में निवेश करने वालों में अधिकतर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के हैं। पैसे वापसी को लेकर कई राज्यों में लगातार आंदोलन चल रहा था। पैसे जमा करने वाले अधिकतर लोग मध्यम या निम्न आय वर्ग के हैं, जिनके लिए यह सुकून वाली खबर है, क्योंकि उन्हें बकाया पैसे ब्याज समेत मिलेंगे। लेकिन भुगतान से पहले निवेशकों के दावों का सत्यापन जरूरी होगा।
सहारा-सेबी के रिफंड खाते में अभी निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हैं। केंद्र सरकार की पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने इनमें से पांच हजार करोड़ रुपये को केंद्रीय रजिस्ट्रार के खाते में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है। वैध निवेशकों को उनकी पहचान और जमा के उचित प्रमाण के आधार पर उनके बैंक खातों के माध्यम से पारदर्शी तरीके से भुगतान किया जाएगा।
चार सोसायटियों में हुआ है निवेश
सहारा की जिन चार सहकारी समितियों में निवेश किया गया है, उनमें सहारा क्रेडिट को-आपरेटिव, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज, हमारा इंडिया क्रेडिट कोआपरेटिव और स्टार्स मल्टीपरपज शामिल हैं। सबसे अधिक पैसे सहारा क्रेडिट को-आपरेटिव में निवेश किया गया है। केंद्रीय रजिस्ट्रार (सहकारी समितियां) कार्यालय के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक इन सोसायटियों में निवेशकों के 86 हजार 673 करोड़ रुपये अटके हैं।