छत्तीसगढ़

बृजभूषण शरण सिंह पॉक्सो मामला: नाबालिग के पिता ने बताया क्यों बदले बयान, कहा- केस अब भी जारी

नईदिल्ली : महिला पहलवानों के मामले में बुधवार को नया मोड़ आ गया है। पहली बार नाबालिग पहलवान के पिता ने लाइव आकर बेटी के बयान बदलने का खुलासा किया है। केस नहीं उठाया है। केस कोर्ट में पहले ही तरह मजबूती से जारी है। यही नहीं, खुद को मिली धमकी के बाद बेटी का पिता ही नहीं, पूरा परिवार खौफजदा है। डर इस कदर हावी है कि मजबूर पिता ने चाहकर भी धमकी देने वाले का नाम तक लेने से इन्कार किया है।

बुधवार को एक चैनल को इंटरव्यू देने के साथ सोशल मीडिया पर लाइव आए नाबालिग के पिता ने कहा कि पिछले 40 दिन से धरने के साथ हूं। व्यक्तिगत रूप से वहां नहीं गया हूं। फिर भी इस लड़ाई का हिस्सा रहा हूं। इस बीच 28 तारीख को मेरे जीवन ही नहीं, कुश्ती जगह में जो कुछ हुआ, इसने सब बदल कर रख दिया। मीडिया तक कंफ्यूज है। कुछ समय में इतनी घटनाएं घटी हैं। इतने लांछन लगे हैं कि एक आम आदमी के लिए जीने के रास्ते बंद हो गए हैं। मैं मध्यम वर्ग से जुड़ा हूं। मुझे अपना परिवार भी चलाना है समाज में बाहर भी निकलना है। हर चीज देखना है। इस घटना के बाद पूरा परिवार डिप्रेशन में है। अकेला व्यक्ति किस-किस से लड़ेगा।

मेरी बेटी नाबालिग है। जिस समय उत्पीड़न हुआ, उस समय भी वह नाबालिग थी। जिस आदमी ने आरोप लगाए, उसका अपना रिकॉर्ड तो देख लो। कितने मुकदमे हैं। उस पर छेड़छाड़ से लेकर फिरौती तक के मामले हैं। आपराधिक बैक ग्राउंड है। मेरे पास सबूत हैं। इन्हें समय आने पर दिखाऊंगा।

मैं यह नहीं बताऊंगा, किसने धमकी दी है। मेरा परिवार है। उस तनाव में मुझे कुछ हो गया तो मेरा परिवार बर्बाद। कौन साथ देगा। भाई जितना साथ दे रहा है, वह सब जानते हैं। माता-पिता की प्रतिक्रिया भी सबने देखी है। कौन पक्ष में है, कौन विपक्ष में, सबको पता है। इस घटना के बाद से घर तो रहा ही नहीं। यह श्मशान है। सब जिंदा लाश बने हुए हैं। कोई किसी से बोलता है तो मुंह उतरा हुआ है।

लखनऊ से शुरू हुआ सारा मामला
यह सारा मामला लखनऊ से शुरू हुआ। यहां वर्ष 2022 में एशियन चैंपियनशिप के लिए ट्रायल हुआ था। यहां पूरी तरह भेदभाव हुआ। फाइनल कुश्ती हुई। दिल्ली की बेटी से मुकाबला हुआ। दिल्ली के साथ हुए फाइनल में दिल्ली का ही रेफरी और वहीं का चेयरमैन। नियमानुसार यह संभव ही नहीं है। कुश्ती शुरू होने से पहले ही आवाज उठाई, सर कुश्ती खराब हो जाएगी। इस पर जवाब मिला, खेलना है तो खेलो, नहीं तो विजेता घोषित करते हैं। ऐसा क्यों??.. मेरी बेटी की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टर ने हड्डी का टुकड़ा निकाला हुआ है। इसे कुश्ती क्या कोई भी खेल खेलने से मना करते हुए वजन उठाने तक के लिए मना कर दिया। उस समय उसी ने हौसला दिया। बोली, किस्मत में पैरालाइज होना लिखा है तो हो जाएगा। मैं कुश्ती नहीं छोडूंगी। वह तीन महीने पूरी तरह बेड पर रही। उसने रात-रात भर एक्सरसाइज कर खुद को तैयार किया। उसे डेढ़ साल लगा। फिर मैदान में उतरी। नेशनल में एकतरफा गोल्ड दिया है। कुश्ती खत्म होने की बात कहने वालों के मुंह पर उसने पदक का ताला लगाया है।

मकान बेचकर करा रहा बेटी को कुश्ती
मैं अपना मकान बेचकर बेटी को कुश्ती करा रहा हूं। किसी से स्पॉन्सरशिप नहीं मिली है। इस पर रेफरी भेदभाव कर जीतने वाले को हरा रहे हैं। मेरी बेटी नहीं हारी, उसका एक साल बर्बाद हो गया। इसलिए गुस्सा है। गुस्सा इतना था कि गोली मार दूं। फेडरेशन में अपील भी की, मगर सुनवाई नहीं हुई। फिर ये धरना सामने आ गया। हमारी शिकायत में कुछ चीजें सच्ची तो कुछ गलत भी थी। अदालत में पांच जून को जज साहब के सामने हमने सब ठीक कर दिया है। अब बृजभूषण पर छेड़छाड़ का नहीं, भेदभाव का आरोप है। इस लड़ाई में कुश्ती जगह के अलावा कोई मदद के लिए नहीं आया। कहने को खापें हैं, महिला संगठन है, किसान नेता हैं, अनेक संगठन हैं, किसी ने सहयोग नहीं किया।

कमरे में बंद रहती है नाबालिग बेटी
बेटी दोबारा कुश्ती खेलेगी। मेरा यही प्रयास रहेगा। फिलहाल वह कुश्ती खेलना तो दूर किसी से बात तक नहीं कर रही है। वह खुद को कमरे में बंद रखे हुए है। कल शाम को मुश्किल से कुछ खाया था। उसे घुमाने बाहर ले गया तो फिर मीडिया के फोन आने लगे। इससे वह फिर डिप्रेशन में चली गई। मैं नहीं हारूगा। मुझे समय जरूर लगेगा। हमें डर है। अपने घर में ही डर है। लोभ या लालच नहीं है। किसी दबाव में आए बगैर अपना बयान दिया है।

एमडीयू में गार्ड की मौत का उठाया मुद्दा
एमडीयू में हाल ही में बाइक सवार ने गार्ड को टक्कर मारी दी थी। घायल गार्ड की मौत हो गई है। टक्कर मारने वाले अब तक पकड़े नहीं गए हैं। उनका सुराग तक नहीं लगा है। जबकि सीसीटीवी तक मौजूद है। पुलिस अब तक क्या कर पाई है। ऐसे में मेरे साथ कुछ होता तो मेरे परिवार का क्या होगा। मेरी बेटी को क्या बाप मिल जाएगा।