ढाका : बांग्लादेश में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारों समेत 26 दोषियों और युद्ध अपराधियों को फांसी पर चढ़ाने वाला भुइयां ‘जल्लाद’ रविवार को जेल से छूटा। भुइयां डकैती और हत्या के जुर्म में पिछले तीन दशक से अधिक की सजा काटने के बाद बाहर आया है।
जल्लाद’ के उपनाम से चर्चित शाहजहां भुइयां (74 वर्षीय) जब ढाका सेंट्रल जेल के परिसर से बाहर निकला तो पत्रकारों के एक दल ने उसका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। 1991 में भुइयां को हत्या और डकैती के आरोप में 42 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। 2001 में उसे जेल अधिकारियों ने जल्लाद का काम सौंपा था। जल्द ही उसे जल्लाद की उपाधि दी गई।
बांग्लादेश सरकार ने उसकी ओर से की गई हर फांसी के लिए उसकी सजा को दो महीने कम कर दिया। इस तरह से उसकी सजा चार साल और चार महीने कम हो गई। जेल में अच्छे आचरण के कारण भुइयां की करीब 10 साल की सजा माफ कर दी गई थी। जल्लाद के रूप में अपने काम के दौरान भुइयां ने बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारों को फांसी पर चढ़ाया था। इससे मीडिया का ध्यान उन पर अधिक गया।
भुइयां ने कहा, ‘जब मैंने हर फांसी को अंजाम दिया तो भावनाओं ने मुझे जकड़ लिया। लेकिन मुझे पता था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो कोई और इसे करेगा। मैं साहसी था और इसलिए जेल अधिकारियों ने मुझे यह काम सौंपा।’ उन सभी फांसी में से मुनीर नाम के एक दोषी की फांसी थी, जिसे उन्होंने बड़े उत्साह के साथ याद किया। शाहजहां भुइयां कहा, ‘मैं उसकी (मुनीर) फांसी को कभी नहीं भूलूंगा। जब उनसे उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई, तो उसने कहा कि वह सिगरेट चाहता है।’
ढाका सेंट्रल जेल के जेलर महबूबुल इस्लाम ने कहा कि सजा के तहत भुइयां पर 10,000 टका का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन जेल अधिकारियों ने उसकी गरीबी के कारण राशि का भुगतान किया। नरसिंगडी के इछाखली गांव के निवासी भुइयां ने कहा कि वह अब एक अन्य कैदी के घर जा रहा है, जिससे उसकी दोस्ती जेल में हुई थी।
उन्होंने कहा, मेरी एक बहन और एक भतीजा है। लेकिन जेल पहुंचने के बाद मैंने इतने वर्षों में उनसे कभी संपर्क नहीं किया। भुइयां ने कहा, मेरा कोई घर नहीं है। मैं एक दोस्त के घर पर रहूंगा। मैं बांग्लादेश सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह मुझे एक स्थिर नौकरी और रहने के लिए एक जगह प्रदान करे।