नईदिल्ली : दिल्ली के 1996 लाजपत नगर ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने 4 दोषियों को जीवन भर जेल में रखने का आदेश दिया है. लाजपत नगर ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हुई थी और 38 घायल हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद नौशाद, मिर्ज़ा निसार हुसैन, मोहम्मद अली भट्ट और जावेद अहमद खान को उम्र कैद की सज़ा दी है.
चारों दोषी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट के सदस्य हैं. मिर्ज़ा निसार हुसैन और मोहम्मद अली भट्ट को 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को तुरंत सरेंडर करने को कहा. मोहम्मद नौशाद और जावेद अहमद खान 1996 से जेल में हैं.
लाजपत नगर में कब हुआ था बम ब्लास्ट?
21 मई 1996 को दिल्ली के व्यस्त लाजपत नगर मार्किट में शाम 6.30 बजे धमाका हुआ था धमाका. मामले में 2010 में निचली अदालत ने नौशाद, निसार और मोहम्मद अली भट्ट को फांसी की सज़ा दी थी. जावेद अहमद खान को उम्र कैद की सज़ा मिली थी. 22 नवंबर 2012 को दिल्ली हाई कोर्ट ने निसार और भट्ट को बरी कर दिया था. हाई कोर्ट ने जावेद की सज़ा बरकरार रखी और नौशाद की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया.
दस साल बाद आज सुना गया मामला
2013 से लंबित दिल्ली पुलिस की अपील पर इस साल सुनवाई हुई. आज जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने फैसला दिया. जजों ने चारों को हत्या और साज़िश के अलावा एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट की धारा के तहत दोषी माना है.
जजों ने कहा है कि निर्दोष लोगों की जान लेने वाले इन दोषियों के साथ रियायत नहीं बरती जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी अफसोस जताया है कि शहर के बीच स्थित एक व्यस्त बाजार में सुरक्षा की स्थिति इतनी लचर थी.
जजों ने आशंका जताई है कि मामले में कुछ प्रभावशाली लोगों की भी भूमिका रही होगी, लेकिन पुलिस की ढीली जांच के चलते वह बच गए.