नईदिल्ली : केरल में एक 15 साल के लड़के की मौत दूषित पानी में रहने वाले ब्रेन ईटिंग अमीबा के संक्रमण से हो गई. इस अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी है और बोलचाल की भाषा में इसे दिमाग खाने वाला अमीबा भी कहते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि दिमाग में जाकर ये अमीबा ब्रेन टिशूज को खत्म कर देता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जिस बच्चे की मौत हुई है उसका नाम गुरुदत्त है और वो 10वीं कक्षा का छात्र था. उसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस इंफेक्शन हुआ था. इससे गुरुदत्त को बुखार और दौरे पड़े थे. जांच में इंफेक्शन का पता चला था. गुरुदत्त 1 जुलाई से अलप्पुझा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिट था. बाद में पता चला कि पनावली में एक झरने में नहाने के बाद वह इसकी चपेट में आ गया था.
क्या बोलीं स्वास्थ्य मंत्री?
इस मामले पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शुक्रवार को बच्चे की मौत के बारे में जानकारी दी. साथ ही लोगों को चेतावनी दी है कि वे दूषित पानी में नहाने से बचें, क्योंकि ये अमीबा नाक के जरिए शरीर में घुस जाता है. स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि अमीबा रुके हुए पानी में होता है और नाक की पतली त्वचा से घुस जाता है.
उन्होंने ये भी कहा कि ये कोई संक्रामक बीमारी नहीं है. ऐसा बहुत ही कम होता है, घबराने की जरूरत नहीं है. इससे पहले ऐसे 5 मामले सामने आए थे. सबसे पहला केस 2016 में आया था. इसके बाद साल 2019, 2020 और 2022 में एक-एक केस मिला था. इन सभी संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी. इस बीमारी के लक्षण बुखार, सिरदर्द, उल्टी और दौरे हैं.
दूषित पानी में पाया जाता है ये अमीबा
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, दिमाग खाने वाले अमीबा का नाम नाइग्रीलिया फॉलेरी (Naegleria Fowleri) है. ये दूषित पानी में पाया जाता है और नाक के जरिए शरीर में घुसता है. इसके बाद धीरे-धीरे ये दिमाग में पहुंचना शुरू कर देता है और ये दिमाग के टिश्यू को खत्म करने लगता है. जिससे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Primary Amoebic Meningoencephalitis) की बीमारी पैदा होती है. PAM एक रेयर ब्रेन इंफेक्शन है. जैसे-जैसे दिमाग में ये संक्रमण फैलता जाता है, दिमाग में सूजन आने लगती है और स्थिति जानलेवा हो बन जाती है.