छत्तीसगढ़

सुनील गावस्कर बर्थडे : बिना हेलमेट के झेली तूफानी गेंदें, डेब्यू सीरीज में ही बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, भारत का पहला लिटिल मास्टर

नईदिल्ली : क्रिकेट की दुनिया में लिटिल मास्टर का नाम लिया जाता है तो सभी के मन में सबसे पहले सचिन तेंदुलकर का नाम आता है. लेकिन सचिन से पहले ये नाम किसी और को दिया जा चुका था और आज भी उस शख्स को लिटिल मास्टर के नाम से कई लोग जानते हैं. ये खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में शुमार भारत के ही सुनील गावस्कर हैं. आज यानी 10 जुलाई को गावस्कर का जन्मदिन है. गावस्कर का जन्म 1949 में बॉम्बे (मुंबई) में हुआ था.

गावस्कर ने 70-80 के दशक में क्रिकेट की पिच पर एक से एक पारियां खेलीं. आज के समय में सचिन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक और रनों का रिकॉर्ड है. लेकिन एक समय ये रिकॉर्ड गावस्कर के नाम थे. ये गावस्कर ही थे जिसने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार 10,000 रनों का आंकड़ा छुआ था. यहां से गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रनों का एक स्ट्रैंडर्ड सेट कर दिया जिसे छूना आज भी हर बल्लेबाज का सपना है.

क्लास, तकनीक के साथ निडरता बनी पहचान

गावस्कर की बल्लेबाजी की जमकर तारीफ की जाती है. गावस्कर की बल्लेबाजी में खूबसूरती थी. उनके पास एक से एक स्ट्रोक थे. उनकी बल्लेबाजी में वो क्लास थी जिसकी मुराद हर बल्लेबाज करता है. वह धैर्य था जिसकी जरूरत विकेट पर टिकने और गेंदबाजों पर हावी होने के लिए चाहिए होती है. गावस्कर के समय के कुछ और बल्लेबाजों में ये चीजें थी, किसी में कम तो किसी में ज्यादा, फिर भी गावस्कर अपने जमाने के कई बल्लेबाजों से आगे रहे क्योंकि वह जानते थे कि इन सबका मैदान पर इस्तेमाल कैसे करना है और रन कैसे बनाने हैं.

एक और बात थी जो गावस्कर को अपने समय के बाकी बल्लेबाजों से अलग करती थी. वो थी निडरता. गावस्कर ने उस दौर में क्रिकेट खेला जब वेस्टइंडीज की टीम अपने उफान पर थी. उसके पास एक से एक खूंखार गेंदबाज थे. एंडी रोबर्ट्स, मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग के नाम सुन बल्लेबाज कांपते थे क्योंकि ये बल्लेबाजों के शरीर पर गेंद फेंक उन्हें चोटिल करते थे. गावस्कर ने इस सब का न सिर्फ डटकर सामना किया बल्कि वे इन सभी के सामने बिना हेलमेट के खेले. कोई भी बल्लेबाज इन सभी के सामने बिना हेलमेट के उतरने की हिमाकत नहीं कर सकता था. लेकिन गावस्कर ने ये किया.

17 साल की उम्र से कमाया नाम

गावस्कर ने क्रिकेट की दुनिया पर छाने की शुरुआत 17 साल की उम्र से ही कर दी थी. उन्हें 1966 में बेस्ट स्कूल बॉय क्रिकेटर चुना गया था. इसके बाद वह मुंबई की रणजी टीम में आए. गावस्कर की शुरुआत हालांकि अच्छी नहीं रही और फिर उनकी आलोचना की गई. उनके बारे में कहा गया कि उन्होंने अपने अंकल माधव मंत्री की पहचान का फायदा उठाया. माधव भी टीम इंडिया के लिए खेल चुके हैं. लेकिन गावस्कर ने समय के साथ अपने बल्ले से आलोचकों को शांत किया और रणजी ट्रॉफी में लगातार शतक जमा सुर्खियां बटोरीं.

1970-71 में वह वेस्टइंडीज दौरे पर टीम इंडिया में चुन लिए गए. यहां से फिर गावस्कर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. चार टेस्ट मैचों की सीरीज में गावस्कर ने विंडीज के खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के सामने चार शतक, तीन अर्धशतकों की मदद से 774 रन बनाए. इस सीरीज में उनका औसत 154.80 का रहा. इसी के साथ गावस्कर ने डेब्यू सीरीजी में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था. यहां से गावस्कर ने विश्व क्रिकेट पर दस्तक दे दी थी और फिर क्रिकेट को दुनिया को एक महान बल्लेबाज मिला.

वनडे में रहे फीके

टेस्ट में गावस्कर ने शानदार खेल दिखाया और एक से एक पारियां खेल रिकॉर्ड बना दिए, लेकिन वनडे में वह ज्यादा सफल नहीं रहे. टेस्ट में 34 शतक जमाने वाले गावस्कर के नाम वनडे में सिर्फ एक शतक है. वह उस टीम का हिस्सा रहे जिसने 1983 में वनडे विश्व कप जीता. इससे पहले वाले विश्व कप में गावस्कर ने ऐसी पारी खेली थी जिसे आज भी याद किया जाता है. 1979 विश्व कप में गावस्कर ने इंग्लैंड के खिलाफ 174 गेंदों पर 36 रनों का पारी खेली थी.

टेस्ट में गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट मैच खेले और 51.12 की औसत से 10,122 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 34 शतक और 45 अर्धशतक जमाए. वनडे में उन्होंने भारत के लिए 108 मैच खेले और 35.13 की औसत से 3092 रन बनाए जिसमें 27 अर्धशतक और एक शतक शामिल है.

कप्तानी में हुए इन एंड आउट

गावस्कर ने भारतीय टीम की कप्तानी भी की. गावस्कर ने सबसे पहले भारत की कप्तानी न्यूजीलैंड के खिलाफ 1975-76 में की थी. तब टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी को चोट लग गई थी और वह नहीं खेल सके थे. दूसरे टेस्ट में बेदी ने वापसी की. बाद में बेदी को कप्तानी से हटा दिया गया और गावस्कर को 1978-79 में कप्तानी सौंपी गई. वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने कप्तानी की और शानदार काम किया. अपने घर में टीम इंडिया सीरीज जीती और गावस्कर ने 700 से ज्यादा रन बनाए.लेकिन इसके बाद इंग्लैंड के दौरे पर उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया और एस. वेंकटराघवन को कप्तान बनाया गया. 1979-80 में वह दोबारा कप्तान बनाए गए.

गावस्कर को इसके बाद भी कुछ दफा कप्तानी सौंपी गई और फिर छीनी गई. कप्तान के तौर पर उनका सफर किसी रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं रहा. गावस्कर ने 47 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की जिसमें से आठ में उन्हें हार और नौ में जीत मिली जबकि 30 मैच ड्रॉ रहे. वनडे में उन्होंने 37 मैचों में टीम की कप्तानी की जिसमें 14 में जीत और नौ में हार मिली, दो मैचों का रिजल्ट नहीं आ सका.