नईदिल्ली : भारत में इन दिनों समान नागरिक संहिता को लेकर काफी बहस चल रही है। कई राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ पार्टियां इसके समर्थन में खड़ी हैं। इस बीच बीआरएस ने भी इसका विरोध किया है। बीआरएस का कहना है कि अगर संसद में समान नागरिक संहिता पेश किया जाता है तो वो इसका विरोध करेगी। इसके साथ ही वे अन्य दलों को भी बिल के विरोध में एकजुट करेगी।
भाजपा ने विकास नजरअंदाज किया
बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को कहा कि बीआरएस केंद्र सरकार के उन फैसले का विरोध कर रहा है, जो देश की अखंडता के लिए हानिकारक है। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पिछले नौ वर्षों में देश के विकास और कल्याण को नजर अंदाज कर दिया है। भाजपा अलग-अलग तरीकों से लोगों को परेशान कर रही है। भाजपा यूसीसी के नाम पर लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रही है। भारत की एकता दुनिया में एक मिशाल है। इसलिए इसकी रक्षा करने के लिए बिल को खारिज करना आवश्यक है। भाजपा बिल पेश करके लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है।
पर्सनल लॉ अस्तित्व में नहीं रहेंगे
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में असदुद्दीन औवेसी भी शामिल थे। मंडल ने मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया है कि वह यूसीसी बिल का विरोध करें।ओवैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा यूसीसी के नाम पर देश की धर्मनिर्पेक्षता को कमजोर करना चाहती है। यूसीसी सिर्फ मुसलमानों का ही नहीं बल्कि ईसाइयों, आदिवासियों और हिंदुओं का भी मुद्दा है। अगर यूसीसी लागू होता है तो हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम सहित अन्य कानून अस्तित्व में नहीं रहेंगे। ओवैसी का दावा है कि आदिवासी, ईसाई और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति भी यूसीसी का विरोध करेंगे। केसीआर के अलावा ओवैसी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी से भी अपील की है कि उनकी पार्टी भी संसद में बिल का विरोध करे।
सीएम के साथ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा
मुख्यमंत्री के साथ बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण, पुराने शहर हैदराबाद में मेट्रो रेल विस्तार और नए सचिवालय में एक मस्जिद सहित अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण पर भी चर्चा की गई। ओवैसी ने कहा कि गाचीबोवली में एक इस्लामिक सेंटर भी बनाया जाएगा।