नई दिल्ली। यशस्वी जायसवाल को बचपन के दिनों में क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले कोच ज्वाला सिंह ने पदार्पण टेस्ट में शिष्य के शतक लगाने पर खुशी जताते हुए कहा कि ये मेरे लिए सपना सच होने जैसा है। ज्वाला सिंह ने कहा, “विदेश में जाकर भारत के लिए शतक लगाना बड़ी बात है। यह बहुत अच्छी शुरुआत होगी, लेकिन उसे बल्लेबाजी को सरल बनाए रखने की आवश्यकता। शतक लगाने के बाद मैंने उसे यही संदेश दिया कि अंत तक खेलना और शतक को दोहरे शतक में बदलो। एक खिलाड़ी के तौर पर जब आपको अवसर मिलता है तो जितना अच्छा कर सकते हो करो।”
ज्वाला सिंह ने बताया, “यशस्वी के करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा, जब वह अंडर-19 विश्व कप के बाद आईपीएल में राजस्थान रायल्स से जुड़ा। जब राजस्थान ने यशस्वी को टीम में जोड़ा तो कोविड हो गया। पहले कैंप से लौटने के बाद लॉकडाउन लग गया। 2020 में जो हमारा मोमेंटम बना था, वह टूट गया। तीन-चार महीने मैं और यशस्वी मुंबई में थे। हम लोग काफी बात करते थे कि आगे क्या होगा क्योंकि जब वह अंडर-19 विश्व कप खेला था तो उसके पास टी-20 का एक्सपोजर नहीं था।
बिना अभ्यास के खेला आईपीएल
उन्होंने आगे कहा, “वह आईपीएल खेलने के लिए तैयार नहीं था। बिना अभ्यास के उसे दुबई में आईपीएल खेलना पड़ा, तब उसे कंधे में चोट भी थी। जब वह पहला आईपीएल खेला तो तीन मैच में कुछ खास नहीं कर पाया तो लोगों ने काफी आलोचना की। जब वह भारत लौटा तो उसने मुझसे यही कहा कि मैंने अपना पहला आइपीएल बर्बाद कर दिया। वो करीब 15 मिनट तक रोता रहा। इसके बाद मैंने उसे गोरखपुर बुलाया और करीब 20-25 दिन तक रेलवे के एक मैदान पर अभ्यास कराया।”
गोरखपुर में किया था अभ्यास
जायसवाल के बचपन के कोच ने कहा, “मैंने सीमेंट विकेट पर प्लास्टिक की गेंद से अभ्यास कराया। मैंने उसे ‘कट’ और ‘पुल’ और ‘आन द राइज पुल शाट’ का काफी अभ्यास किया। हमने प्लास्टिक गेंद से 170 की गति से उसे अभ्यास कराया। ज्वाला ने कहा, इसके बाद मुंबई में 21 दिसंबर को सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के लिए चयन मैच में यशस्वी ने 52 गेंद में शतक लगाया। मैच खत्म होने के बाद उसने मुझे फोन किया और कहा कि सर ये तो गजब हो गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं ऐसे शॉट कैसे खेल सकता हूं। जो हमने गोरखपुर में अभ्यास किया था, उसका लाभ उसे यहां हुआ।”
बटलर ने की मदद
ज्वाला सिंह ने कहा, “मेरे अलावा राजस्थान रायल्स के को¨चग स्टाफ ने यशस्वी की काफी मदद की। चाहे कुमार संगकारा हो या सायरस भरूचा हो। राजस्थान में वह जोस बटलर के साथ खेलता है, उसने भी काफी मदद की है।” घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में शानदार प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया में यशस्वी चयन के बारे में ज्वाला ने कहा, “हमें बीसीसीआइ पर पूरा भरोसा था कि उनका चयन लगभग हो ही जाएगा। क्योंकि अगर कोई खिलाड़ी दलीप ट्राफी और ईरानी ट्राफी में प्रदर्शन और आइपीएल के बाद टीम में उनका चयन औपचारिकता था, बस ये देखना था कि उन्हें कौन सी सीरीज में अवसर मिलता है।”