छत्तीसगढ़

चार्जशीट दाखिल करने में हुई देरी तो कोर्ट ने आरोपी वकील को दे दी जमानत, NIA को फटकार भी लगाई

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने आरोप पत्र यानी चार्जशीट दाखिल करने में देरी को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मामले में आरोपी एक वकील को डिफाल्ट जमानत दे दी। यह मामला दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा आपराधिक साजिश और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम (UAPA) से संबंधित धाराओं को तहत कथित आतंकी गतिविधियों के लिए दर्ज किया गया था। बाद में मामले की जांच एनआइए द्वारा की गई।

आरोपी को 18 अक्टूबर 2022 को किया गया गिरफ्तार

आरोपी को 18 अक्टूबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से अवैध हथियार हथियार बरामद किए थे। यह मामला अर्शदीप सिंह उर्फ डल्ला व अन्य से जुड़ा हुआ है। डल्ला इस समय कनाडा में छिपा हुआ है।

पटियाला हाउस कोर्ट से आरोपी को मिली जमानत

एनआइए द्वारा चार्जशीट दाखिल करने में देरी को देखते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने दिल्ली निवासी आसिफ खान को जमानत दे दी। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।

21 मार्च को दायर की गई थी चार्जशीट

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक के खिलाफ चार्जशीट 21 मार्च को केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत अपराध के लिए दायर किया गया है, जबकि आरोपी को गिरफ्तार किए जाने के 90 दिनों से अधिक समय के बाद 13 जुलाई को जांच पूरी की गई थी।

न्यायाधीश ने कहा कि कानून उम्मीद करता है कि जांच सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तह वर्णित अवधि के लिए भीतर पूरी होनी चाहिए। यहां तक कि यूएपीए की धारा 43डी (2) के तहत भी, 90 से 180 दिनों की अवधि को नियमित रूप से नहीं बढ़ाया जा सकता है। 

’60 दिन के भीतर पूरी हो चाहिए थी जांच’

न्यायाधीश ने कहा, आरोपी को शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत साजिश के मूल अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया है, जिसमें अधिकतम तीन से सात साल तक की सजा है। न्यायाधीश ने आदेश में कहा, “जिन अपराधों के लिए आरोपी पर आरोप लगाया गया है, उसके अनुसार आरोपी के खिलाफ अपराधों की जांच उसकी गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।”

अदालत ने कहा कि इस मामले में यूएपीए के तहत दर्ज एफआईआर से कोई भी यह समझ सकता है कि आरोपी को उल्लिखित अपराधों के लिए हथियार आदि की बरामदगी के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 167(2) के प्रावधान को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि इसे सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट द्वारा कई बार विभिन्न निर्णयों में निर्धारित किया गया है।

90 दिन के भीतर जांच पूरी नहीं कर सकी एनआइए

अधिवक्ता शिवेंद्र कुमार शर्मा और चिराग मदान द्वारा तर्क दिया गया कि एनआइए 90 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर जांच पूरी नहीं कर सकी और दो मौकों पर विस्तार की मांग की। उसके बाद आसिफ खान, अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला, गौरव पट्याल उर्फ सौरव ठाकुर उर्फ लक्की, अमित डागर और कौशल उर्फ नरेश चौधरी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। 

जांच के दौरान, आसिफ खान को एक स्वचालित पिस्तौल के साथ 1 मैगजीन, 10 खाली कारतूस, एक देशी पिस्तौल और उसके 10 जीवित राउंड, एक देशी पिस्तौल और उसके 9 जीवित राउंड की कथित बरामदगी के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके घर से एक देशी पिस्टल/देसी कट्टा, एक पिस्टल बॉडी, 3 मैगजीन, 2 स्लाइड 3 बैरल, 11 बट ग्रिप, 20 लाइव राउंड 7.62 25 मिमी, 16 लाइव राउंड केएफ, कवर सहित एक चाकू जब्त किया गया।