नईदिल्ली : अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई के दौरान शनिवार (22 जुलाई) को दो यात्रियों की मौत हो गई है, जिससे दक्षिण कश्मीर हिमालय में इस साल की तीर्थयात्रा के दौरान जान गंवाने वालों की संख्या 36 हो गई.
शनिवार को जिन दो यात्रियों की मौत हुई, उनकी पहचान फतेह लाल मनारिया (पवित्र गुफा में मृत्यु) और मांगी लाल (बालटाल आधार शिविर में मृत्यु) के रूप में हुई है. अधिकारियों ने बताया कि उनकी उम्र करीब 60 वर्ष थी. दोनों तीर्थयात्री राजस्थान के थे.
शुक्रवार (21 जुलाई) को दर्शनार्थी यात्रियों का आंकड़ा तीन लाख के पार हो गया. जानकारी के मुताबिक, अब तक 3,07,354 तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ यात्रा की है, जबकि खराब मौसम के बावजूद शुक्रवार (21 जुलाई) को 13,797 यात्रियों ने पवित्र गुफा के अंदर दर्शन किए.
जान गंवाने के पीछे कारण क्या है?
श्राइन बोर्ड यात्रियों और यात्रा के दौरान विभिन्न सेवाएं प्रदान करने में शामिल अन्य लोगों के लिए नियमित चिकित्सा दिशा निर्देश जारी करता है लेकिन कुछ लोग प्राकृतिक कारणों के आगे बेबस हो जाते हैं. यात्रा के दौरान होने वाली मौतों के पीछे एक आम कारण ज्यादा ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन का होना भी बताया जा रहा है.
पवित्र गुफा तक श्रद्धालु दो रास्तों से पहुंचते हैं. यात्री या तो पारंपरिक दक्षिण कश्मीर वाले पहलगाम मार्ग (43 किलोमीटर) से या उत्तरी कश्मीर वाले बालटाल आधार शिविर से गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं. समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित गुफा मंदिर में ‘दर्शन’ करने के बाद यात्री उसी दिन बेस कैंप में लौट आते हैं.
3,475 यात्रियों का एक और जत्था रवाना
दोनों मार्गों पर यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं. इस साल की 62 दिवसीय अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई को शुरू हुई और 31 अगस्त को रक्षा बंधन त्योहार के साथ समाप्त होगी. जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से शनिवार को 3,475 यात्रियों का एक और जत्था सुरक्षा काफिले में रवाना हुआ. अधिकारियों ने कहा, “इनमें से 2,731 पुरुष, 663 महिलाएं, 12 बच्चे, 63 साधु, तीन साध्वियां और तीन ट्रांसजेंडर शामिल हैं.”
अमरनाथ यात्रा के दौरान ध्यान में रखें ये बातें
अमरनाथ यात्रा में कम उम्र के बच्चों और और 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को न ले जाने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही गर्म कपड़े, वॉटरप्रूफ ट्रेकिंग शूज, रेनकोट भी ले जाना ठीक रहता है.