नई दिल्ली। मणिपुर में जारी हिंसा के दरम्यान दो महिलाओं के साथ हुई हैवानियत को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच संसद में चल रहा टकराव सोमवार को भी जारी रहने के पुख्ता आसार हैं। विपक्ष संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान के बाद ही मणिपुर हिंसा पर चर्चा की अपनी मांग पर कायम रहेगा और सरकार का रूख देखने के उपरांत दूसरे सियासी विकल्पों पर गौर करेगा।
गतिरोध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं विपक्ष
विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने संकेत दिया है कि बेशक पीएम के बयान की मांग नहीं छोड़ी जाएगी, मगर विपक्ष सदन के गतिरोध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं है। टकराव खत्म करने के लिए सरकार दो कदम आगे बढ़ती है तो विपक्ष भी दो कदम पीछे खींचने से गुरेज नहीं करेगा।
इस बीच सरकार और विपक्ष में संसद के बाहर भी शनिवार को वार-पलटवार का दौर जारी रहा। कांग्रेस ने मणिपुर में दो महिलाओं के साथ क्रूर सामूहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर भाजपा के तर्कों को बेतूका करार देते हुए केंद्र सरकार पर संसद की चर्चा से भागने का आरोप लगाया।
विपक्षी दलों ने पहले ही तय कर लिया है कि सोमवार को मणिपुर मुद्दे पर सरकार की घेरेबंदी को आक्रामक तेवर देने के लिए सदन की बैठक से पहले सुबह संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने इंडिया के सभी दलों के सांसद विरोध प्रदर्शन करेंगे।
क्या है विपक्ष के मन में?
सदन में चर्चा कराने के सरकार के इरादों का आकलन किया जाएगा और फिर अन्य वैकल्पिक सियासी कदमों का फैसला होगा। इंडिया का संसदीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजने की तारीख भी तय की जाएगी।
विपक्षी सूत्रों ने कहा, सत्ता को असहज करने वाले ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कराने का सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है, लेकिन हम बजट सत्र की तरह मानसून सत्र के धुलने के पक्ष में नहीं। इसीलिए सामान्य नियमों के तहत मणिपुर हिंसा पर चर्चा के विकल्प को अभी खारिज नहीं किया गया है।
कांग्रेस ने क्या कुछ कहा?
वहीं, कांग्रेस ने सदन में चर्चा नहीं कराए जाने को सरकार के भय का प्रमाण बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेता और सरकार के मंत्री मणिपुर की महिलाओं से हुए दुष्कर्म की बर्बर घटनाओं से ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रंजीत रंजन ने महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी की राजस्थान और छत्तीसगढ़ की घटनाओं को चुनिंदा तरीके से उठाने को राजनीतिकरण करार देते हुए उनकी निंदा की। उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्यों के साथ दिल्ली जहां पुलिस सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है उसे छोड़ने के लिए ईरानी को आड़े हाथों लिया।
‘क्या कर रही थीं खुफिया एजेंसियां’
उन्होंने कहा कि संसद और विपक्ष से सरकार क्यों डर कर भाग रही है। रंजीत ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री पिछले 80 दिनों से वहां हो रही घटनाओं से अनभिज्ञ थे? खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं।