नईदिल्ली : कारगिल युद्ध सिर्फ एक जंग नहीं बल्कि भारत माता के पराक्रमी सपूतों की वीरगाथा है. जिसके किस्से-कहानियां देश के हर एक नागरिक को गर्वित करते हैं, रोंगटे खड़े कर देते हैं. जब दुश्मन भारत की सीमा में घुस गया और कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था, तब भारतीय शूरवीरों ने दिलेरी और अदम्य साहस के साथ उसे धूल चटाते हुए खदेड़ने का काम किया था. ये युद्ध 1999 में मई से जुलाई के बीच लड़ा गया था.
भारत के वीर सैनिकों ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल से खदेड़कर जीत का परचम फहराया था. इसी जीत को हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है. आज हम आपको इसी जंग से जुड़ा किस्सा सुनाते हैं. कैसे पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने परवेज मुशर्रफ के ‘कारगिल प्लान’ का विरोध किया था.
पाकिस्तान ने पहले भी बनाई थी योजना
पाकिस्तानी सेना ने 1999 से पहले भी कारगिल जैसे सैन्य अभियान की योजना बनाई थी, जब बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री थीं, लेकिन वह इस विचार के खिलाफ खड़ी रहीं. पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा की किताब में ये खुलासा किया गया. राजीव डोगरा 1992 से 1994 तक कराची में भारत के महावाणिज्य दूत थे. उन्होंने अपनी किताब “व्हेयर बॉर्डर्स ब्लीड: एन इनसाइडर्स अकाउंट ऑफ इंडो-पाक रिलेशंस” में दोनों देशों के बीच कई विवादास्पद मुद्दों के बारे में बात की है.
परवेज मुशर्रफ के प्लान को किया खारिज
उन्होंने बुक में लिखा कि ये सच है कि भुट्टो कुछ खुफिया गपशप से प्रभावित थीं, लेकिन ये भी सच है कि कई मौकों पर वह सेना के खिलाफ खड़ी रहीं. इसलिए उनके कार्यकाल के दौरान कम से कम एक बार कारगिल जैसे युद्ध को रोका जा सका था. उन्होंने तत्कालीन डीजीएमओ मेजर जनरल परवेज मुशर्रफ के ऐसे ऑपरेशन के विचार को खारिज कर दिया था. डोगरा ने बुक में दावा किया कि मुशर्रफ ने पाकिस्तान के युद्ध जीतने और श्रीनगर पर कब्जा करने की बात कही थी, लेकिन बेनजीर इस बात पर सहमत नहीं हुई थी.
बेनजीर भुट्टो ने कही थी ये बात
भुट्टो ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि इस तरह के हमले के संभावित परिणामों की आशंका को देखते हुए मैंने इनकार कर दिया था. डोगरा के मुताबिक तब बेनजीर भुट्टो ने मुशर्रफ से कहा था कि नहीं, जनरल, अगर मैं कहूं कि वे (भारत) कहेंगे श्रीनगर से हट जाओ, न केवल श्रीनगर से बल्कि आजाद कश्मीर से भी हट जाओ. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत पहले जनमत संग्रह होगा. तो हमें आजाद कश्मीर से भी हटना होगा, जहां जनमत संग्रह होना था.
नवाज शरीफ को थी घुसपैठ की जानकारी
डोगरा ने ये भी दावा किया कि जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वागत किया था तब शरीफ को पता था कि पाकिस्तानी सैनिक कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर रहे थे. उन्होंने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐतिहासिक दिल्ली-लाहौर बस यात्रा की थी. बस के करीब जब नवाज शरीफ वाजपेयी को गले लगाने के लिए झुके तो वह स्पष्ट रूप से असहज दिख रहे थे. क्योंकि उन्हें जानकारी थी कि पाकिस्तानी सैनिक कारगिल में कब्जा कर रहे थे.
भारतीय सेना ने चटाई धूल
परवेज मुशर्रफ कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी आर्मी के चीफ थे. भारत के वीर सैनिकों ने उनकी सेना को धूल चटाते हुए फिर से कारगिल की चोटियों पर अपना कब्जा ले लिया था. इस जंग में भारत के 527 वीर सपूतों ने बलिदान दिया था और 1300 से ज्यादा घायल हुए थे. पाकिस्तानी सैनिकों की मौत का आंकड़ा तीन से चार हजार के बीच रहा था.
इस जंग के बाद परवेज मुशर्रफ ने शरीफ सरकार का तख्तापलट करते हुए सैन्य शासन लागू किया और खुद राष्ट्र्रपति बन गए थे. शरीफ ने दावा किया था कि उन्हें मुशर्रफ के इरादों और उनकी कारगिल योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी. वहीं जंग खत्म होने के बाद बेनजीर भुट्टो ने कारगिल युद्ध को पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल कहा था.