छत्तीसगढ़

ज्ञानवापी केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, चीफ जस्टिस ने मुस्लिम पक्ष से पूछा- अभी हम दखल क्यों दें?

नईदिल्ली : ज्ञानवापी केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस दौरान मस्जिद का पक्ष रख रहे वकील हुजैफा अहमदी ने कोर्ट को पिछले आदेशों के बारे में बताया. मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी में हो रहे सर्वे के फैसले को चुनौती दी है.

सीजेआई चंद्रचूड़ हुजैफा अहमदी से कहा कि हम कल आए हाई कोर्ट के के आदेश पर बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाई कोर्ट में हलफनामा दिया है कि फिलहाल खुदाई का काम नहीं होगा. ऐसे में फिर अभी हम दखल क्यों दें. इस पर मुस्लिम वक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि सर्वे की जरूरत ही क्या है? सैकड़ों साल पहले क्या हुआ, यह जानना क्यों जरूरी है? क्या यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन नहीं है?

कोर्ट में क्या दलील दी गई?
अहमदी ने कहा कि किसी भी निराधार याचिका पर सर्वे हो सकता है? सीजेआई ने इसको लेकर कहा कि जो बात आपके लिए ‘निराधार’ है. वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था हो सकती है. हम इस पर क्यों टिप्पणी करें? वहीं यूपी सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एएसआई ने लिखित हलफनामा दिया है कि सर्वे में ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. 

मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि एएसआई ने बोला है कि कोर्ट के आदेश के बिना वहां कोई खुदाई नहीं की जाएगी. इस पर अहमदी ने कहा कि खुदाई की जरूरत ही क्या है? पुराने जख्मों को क्यों कुरेदना है? इसी से बचने के लिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बना था.

जस्टिस पारडीवाला ने कहा कि हम यह आदेश दे सकते हैं कि सर्वे हो, लेकिन अभी नतीजों को सार्वजनिक नहीं किया जाए. कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में इसे सौंपा जाए. इस टिप्पणी पर अहमदी ने कहा कि सर्वे फिलहाल होना ही नहीं चाहिए. मुकदमे को चलने दिया जाए. जब और किसी तरीके से विवाद का निपटारा नहीं हो सके तब सर्वे का आदेश दिया जाए. 

योगी आदित्यनाथ का किया जिक्र

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कोर्ट में हाल ही आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता यूपी के लिए पेश हुए हैं, लेकिन राज्य के सीएम ने देखिए क्या बयान दिया है. राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए.

सर्वे के पक्ष में क्या तर्क दिए?
हिंदू पक्ष की वकील माधवी दीवान ने कहा कि सर्वे से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. यह पारदर्शी तरीके से हो रहा है. चाहे तो कोर्ट को उसकी लाइव स्ट्रीमिंग दिखाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि 1993 से पहले वहां रोज पूजा होती थी. हिंदू पक्ष पहले से मुकदमा लड़ता आ रहा है.

दीवान ने कहा एक तरफ मस्ज़िद पक्ष कह रहा है कि वहां देवी-देवताओं की मौजूदगी हमारी कल्पना है, दूसरी तरफ सर्वे का विरोध भी कर रहा है. आप दोनों बातें कैसे कर सकते हैं? अगर हमारी कल्पना है तो सच सामने आने से आपको क्या समस्या है?

एएसआई सर्वे को लेकर क्या कहा?
मस्जिद पक्ष के वकील अहमदी कहा कि हमने मेंटेनिबिलिटी को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उसे अगले हफ्ते सुनेंगे.  फिर अहमदी ने दलील दी कि एएसआई बहुत तेजी दिखा रहा है. यह आशंका को जन्म देता है. हमने हाई कोर्ट से अपील के लिए 3 दिन का समय मांगा था लेकिन वह भी नहीं मिला.