छत्तीसगढ़

ज्ञानवापी केस: जीपीआर जांच में मुख्य गुंबद के नीचे जमीन के ठोस न होने के मिले संकेत! दोनों पक्ष के वकील तहखाने में उतरे

वाराणसी : उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ का सर्वे शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। सर्वे टीम ने मुख्य गुंबद के नीचे उस कमरे की बारीकी से जांच की जहां नमाज होती है। एएसआइ को भी मुख्य गुंबद के नीचे त्रिशूल के चिह्न मिले हैं। साथ ही ग्राउंड पेनिट्रेट रडार (जीपीआर) के जरिये फर्श के नीचे मौजूद जमीन की सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया।

मस्जिद पक्ष के लोग भी सर्वे में शामिल

वहां जमीन के ठोस न होने के संकेत मिले हैं। मंदिर पक्ष का दावा है कि आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भ गृह इसी स्थान पर था। इसलिए गुंबद के नीचे शिव लिंग हो सकता है। अभी तक सर्वे से अलग रहे मस्जिद पक्ष के लोग भी सर्वे में शामिल हुए। बता दें कि पिछले वर्ष मई में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में भी त्रिशूल, स्वास्तिक, कमल आदि हिंदू धर्म से जुड़े निशान मिले थे। हालांकि तब मुख्य गुंबद के नीचे सर्वे नहीं हुआ था।

एएसआइ की टीम ही पहली बार गुंबद के नीचे सर्वे के लिए पहुंची है। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वे टीम सुबह आठ बजे ज्ञानवापी पहुंची और उनके साथ मंदिर व मस्जिद पक्ष के लोग परिसर में दाखिल हुए। मस्जिद पक्ष के सर्वे में शामिल होने से चाबी का विवाद भी नहीं रहा। मुख्य गुंबद के नीचे मौजूद नमाज के कमरे का ताला खोल दिया गया था। तहखाने की चाभी भी प्रशासन के पास रही। पहले दिन की तरह ही चार टीमें बनाई गईं। एक टीम ने पश्चिमी दीवार और दूसरी टीम ने दक्षिणी दीवार की जांच शुरू की।

एक टीम तहखाने में मौजूद व्यास जी के कमरे में गई। 10 सदस्यीय दल मुख्य गुंबद के नीचे मौजूद कमरे में पहुंचा, जहां नमाज होती है। दीवारों पर मौजूद आकृतियों की जांच के अलावा जीपीआर के जरिये फर्श की जांच की गई। प्रवेश द्वार से घुसते ही इमाम के बैठने की जगह पर कलाकृति मिली। वहां त्रिशूल जैसे चिह्न भी मिले। प्रवेश द्वार से आगे दीवार पर भी लगभग 20 फीट ऊपर त्रिशूल जैसा निशान मिले।

एएसआइ टीम ने तस्वीरें लीं, वीडियो बनाए

मुख्य गुंबद की दाईं तरफ भी त्रिशूल जैसी आकृति और मस्जिद के स्टोर रूम के बाहर की दीवार पर स्वास्तिक जैसे निशान मिले। मुख्य गुबंद के नीचे के फर्श की जांच से ऐसा लगा जैसे वह जगह पूरी तरह ठोस नहीं है। चारों कोने पर मंडप जैसा ढांचा बना हुआ है, जिनकी संख्या आठ है। उनमें भी कलाकृतियां बनी हुई हैं। मुख्य गुंबद के नीचे चारों दिशाओं में दीवारों पर जिग-जैग कट बने हुए हैं। एएसआइ टीम ने इनकी तस्वीरें लीं, वीडियो बनाए और डायरी में भी दर्ज किया। उन्होंने मुख्य गुंबद की ऊपरी बनावट को भी देखा।

व्यास जी के कमरे में मिलीं कलाकृतियां व अवशेष 

सर्वे टीम ने तहखाने में जाकर व्यास जी के कमरे में भरे मलबे की सफाई शुरू कराई और वहां मिलीं कलाकृतियों की जानकारी दर्ज कीं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मौजूद विशाल नंदी के सामने एक खुला रास्ता मिला, जिस पर दरवाजा नहीं था। रास्ते की चौखट पर कलाकृति बनी हुई हैं।

इसमें पत्थर के चार पुराने खंभे हैं। खंभों पर फूल आदि की कलाकृतियां हैं। कलशफूल की आकृति खंभों के चारों तरफ है। एक तरफ बंद दरवाजा है, जिसके अंदर काफी मलबा भरा है। उसमें भी कई अवशेष दिखाई दे रहे हैं।

पश्चिमी दीवार पर भी पूरे दिन साक्ष्य दर्ज करती रही टीम 

एसएसआइ टीम का ध्यान दूसरे दिन भी विशेष रूप से पश्चिमी दीवार पर रहा। जमीन पर जमी घास व झाडि़यों की हाथों से ही सफाई करके दीवार की बनावट को स्पष्ट करने की कोशिश की। इस दीवार पर बनी एक-एक कलाकृति को नापा और बनावट के बारे में लिखा। पश्चिम दीवार पर बने दरवाजे की आकृति की लंबाई-चौड़ाई को भी नापा, जिसे पत्थर से बंद किया गया है।

दीवार व बड़ी कलाकृतियों के नाप के लिए मशीन डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिश¨नग सिस्टम (डीजीपीएस) का इस्तेमाल किया। एक टीम दक्षिणी दीवार की जांच में लगी रही।

मूर्ति व त्रिशूल मिलने की चर्चा

चर्चा रही कि एएसआइ टीम को सर्वे के दौरान वहां चार फीट की एक मूर्ति मिली है। तहखाने में एक त्रिशूल मिलने की भी खबर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई। हालांकि सर्वे टीम ने इसकी पुष्टि नहीं की है।