नई दिल्ली । इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के बाद अब रूस भी चांद पर उतरने की तैयारी कर रहा है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस अपना चंद्रयान मिशन लॉन्च करने जा रहा है। जानकारी के अनुसार, रूस आगामी 11 अगस्त को मिशन लूना-25 लॉन्च करेगा।
हालांकि, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी का मिशन मून भारत से पहले सफलता हासिल कर सकता है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बताया कि उसके लूना-25 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की यात्रा करने में लगभग पांच दिन लगेंगे। जबकि इसरो 23 अगस्त के आसपास चंद्रयान-3 की लैंडिंग की योजना बना रहा है। माना जा रहा है कि इसी दौरान लूना-25 भी चंद्रमा पर उतर सकता है।
लूना-25 अंतरिक्ष यान पांच दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रमा के पास पहुंचेगा। इसके बाद लूना-25 चंद्र कक्षा में लगभग पांच से सात दिन बिताएगा और उसके बाद दक्षिणी ध्रुव के पास तय किए गए संभावित तीन लैंडिंग स्थलों में से किसी एक पर लैंड करेगा।
अलग-अलग होगी दोनों की लैंडिंग
हालांकि, रोस्कोस्मोस ने कहा है कि दोनों मिशन एक-दूसरे के साथ हस्तक्षेप नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में लैंडिंग की योजना बनाई है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ऐसा कोई खतरा नहीं है कि वे एक-दूसरे के साथ हस्तक्षेप करें या टकराएं। चंद्रमा पर सभी के लिए पर्याप्त जगह है।
लूना-25 और चंद्रयान-3 मिशन के बीच क्या है अंतर?
- जानकारी के अनुसार, रूस का लूना-25 चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की खोज करेगा।
- साथ ही लूना-25 चंद्रमा की आंतरिक संरचना पर भी रिसर्च करेगा।
- वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग करना है।
- लूना-25 के लैंडर में चार पैरों वाला बेस है, जिसमें लैंडिंग रॉकेट और प्रोपेलेंट टैंक हैं। एक ऊपरी हिस्से में सौर पैनल, संचार उपकरण, ऑनबोर्ड कंप्यूटर और वैज्ञानिक उपकरण हैं।
- चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है। रोवर चंद्र सतह के रासायनिक विश्लेषण के लिए वैज्ञानिक पेलोड से सुसज्जित है।
किस जगह होगी लैंडिंग?
बता दें कि लूना-25 के लिए प्राथमिक लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास है। इसके अलावा एक अरक्षित साइट दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। वहीं, चंद्रयान-3 का लैंडिंग स्थल दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है।
क्या है मिशन की अवधि?
रूस का ये लैंडर चांद पर करीब एक साल तक काम करेगा और रेजोलिथ, एक्सोस्फेरिक, धूल और कणों का अध्ययन करेगा। वहीं, भारत का चंद्रयान-3 सिर्फ दो सप्ताह तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। लूना-25 को सोयुज-2 फ्रीगेट बूस्टर से लॉन्च किया जाएगा।