नई दिल्ली । अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव में जहां विपक्षी दल अलग मोर्चा बनाकर भाजपा को पटखनी देने के प्रसास में जुटे हैं, वहीं विपक्षी एकता की महत्वपूर्ण धुरी माने जाने वाले राकांपा प्रमुख शरद पवार की स्वयं की पार्टी में विद्रोह से विपक्षी दलों में अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मसलन शरद पवार के भतीजे अजीत पवार पार्टी से बगावत कर अपने समर्थक विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए हैं।
शरद पवार इसे पार्टी के विरुद्ध विद्रोह मान रहे हैं और विपक्षी गठबंधन (आइएनडीआइए) के साथ राकांपा के खड़े होने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन, राजनीतिक पलटी मारने में माहिर शरद पवार को लेकर विपक्षी दलों के नेता अब भी उनके ऊपर आंख बंद कर भरोसा करते नहीं दिख रहे। इसके पीछे कारण भी स्पष्ट है। शनिवार को पार्टी से विद्रोह करने वाले भतीजे अजीत पवार की उनकी गोपनीय मुलाकात से विपक्षी दलों की आशंका को और बल मिला है।
हालांकि, शरद पवार अब भी भाजपा से किसी भी तरह के जुड़ाव से इनकार कर रहे हैं। प्रेट्र के अनुसार, विपक्षी दलों की इसी आशंका के बीच शरद पवार ने कहा है कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी, हालांकि कुछ शुभचिंतक उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के सांगोला में मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि भाजपा के साथ कोई भी जुड़ाव राकांपा की राजनीतिक नीति में फिट नहीं बैठता।
राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मैं यह स्पष्ट कर रहा हूं कि मेरी पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल अपने भतीजे और उप मुख्यमंत्री अजित पवार के साथ शनिवार को पुणे में उनकी गुप्त बैठक के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह मेरे भतीजे हैं।
भतीजे से मिलने में क्या बुराई है। शरद पवार ने बिना नाम लिए कहा कि हममें से कुछ ने अलग रुख अपनाया है। हमारे कुछ शुभचिंतक यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हमारे रुख में कोई बदलाव हो सकता है। यही कारण है कि वे हमसे सौहार्दपूर्ण चर्चा करने की कोशिश कर रहे हैं।