छत्तीसगढ़

रेप पीड़िता के गर्भपात से जुड़े मामले की सुनवाई में देरी पर SC ने जताई नाराजगी, कहा- कीमती समय की बर्बादी की गई

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की ओर से रेप पीड़िता की गर्भावस्था के मामले की सुनवाई स्थगित करने पर नाराजगी जताई है. हाई कोर्ट ने पीड़िता की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की याचिका पर सुनवाई टाल दी थी जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (19 अगस्त) को कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान मूल्यवान समय बर्बाद हो गया है.

जस्टिस बी वी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने एक स्पेशल सिटिंग में कहा कि ऐसे मामलों में जल्दी सुनवाई होनी चाहिए, न कि मामले को किसी भी सामान्य मामले के तौर पर लेना चाहिए. ऐसे मामलों में सुनवाई स्थगित करने का लापरवाह रवैया नहीं होना चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट में क्या कुछ कहा गया?

याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 25 वर्षीय महिला ने 7 अगस्त को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मामले की सुनवाई अगले दिन हुई थी. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने 8 अगस्त को गर्भावस्था की स्थिति के साथ-साथ याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश जारी किया था. इसके बाद रिपोर्ट 10 अगस्त को मेडिकल कॉलेज की ओर से पेश की गई थी, जहां महिला की जांच की गई थी. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट को हाई कोर्ट ने 11 अगस्त को रिकॉर्ड पर लिया था, लेकिन अजीब बात है कि मामले को 12 दिन बाद यानी 23 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया था. कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि इस मामले में और मौजूदा परिस्थिति में हर दिन की देरी कितनी महत्वपूर्ण थी.  

“आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया”

पीठ ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने उनके संज्ञान में लाया है कि मामले की स्थिति से पता चलता है कि याचिका 17 अगस्त को हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, लेकिन अदालत में कोई कारण नहीं बताया गया था और वेबसाइट पर आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि हम इस अदालत के महासचिव को गुजरात हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से पूछताछ करने और यह पता लगाने का निर्देश देते हैं कि विवादित आदेश अपलोड किया गया है या नहीं.

समय बर्बादी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि जब मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था तब याचिकाकर्ता महिला गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में थी. पीठ ने पूछा कि 11 अगस्त को इसे 23 अगस्त तक के लिए रोक दिया गया था. किस उद्देश्य से? और तब तक कितने दिन बर्बाद हो चुके. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पहले मामला 23 अगस्त के बजाय 17 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया था. 

21 अगस्त को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले की पहली सुनवाई 21 अगस्त को करेगा. पीठ ने याचिका पर राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों से जवाब भी मांगा. याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि आज तक याचिकाकर्ता 27 सप्ताह और दो दिन की गर्भवती है और जल्द ही उसकी गर्भावस्था का 28वां सप्ताह करीब आ जाएगा. पीठ ने मेडिकल बोर्ड की ओर से हाई कोर्ट में दाखिल की गयी रिपोर्ट के बारे में भी पूछा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भावस्था का समापन किया जा सकता है.