नईदिल्ली : भारत का तीसरा चंद्र मिशन तेजी से चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. अंतरिक्ष यान का लैंडर मॉड्यूल अब चंद्रमा की सतह से सिर्फ 157 किमी दूर है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि चंद्र मॉड्यूल ने पहली डीबूस्टिंग से गुजरने के बाद अपनी कक्षा को 113 किमी x 157 किमी तक कम कर दिया है.
वहीं, इसका दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त 2023 को लगभग 2 बजे होगा. इसके बाद धीरे-धीरे मॉड्यूल को चंद्र कक्षा में उतारा जाएगा, जहां से उसकी सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा. गौरतलब है कि 14 जुलाई को पृथ्वी से रवाना हुए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को होगी. इस बीच चंद्रयान 3 से पहले रूस के लूना 25 स्पेसक्राफ्ट के पहुंचने की उम्मीद है. इसकी सॉफ्ट लैंडिंग भी 23 अगस्त को निर्धारित है.
एडवांस टेक्नोलॉजी की जरूरत
इस पर इसरो के पूर्व प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि देश में फ्रूगल इंजीनियरिगं (कम खर्च) के जरिए बड़े रॉकेट बनाने की जरूत है. उन्होंने बताया, ”हमें बड़े रॉकेट और बेहतर सिस्टम की जरूरत है. इसके लिए फ्रूगल इंजीनियरिंग ही काफी नहीं है. हमें शक्तिशाली रॉकेट और एडवांस टेक्नोलॉजी की भी आवश्यक्ता है.”
निवेश की नहीं होगी कमी
पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि सरकार ने स्पेस एक्टिविटीज को निजी उद्योगों के लिए खोल दिया है, जोकि एक सकारात्मक कदम है. उन्होंने कहा, ”मुझे यकीन है कि वे जल्द ही हाई-एंड टेक्नोलॉजी भी अपनाएंगे और निवेश की भी कोई समस्या नहीं होगी.”
लैंडर की स्पीड हुई कम
इससे पहले इसरो ने बताया कि उसने लैंडर की स्पीड कम कर ली है और अब वह चांद की तरफ ले जाने वाली कक्षा की तरफ मुड़ गया है. अभी तक सभी हालात सामान्य हैं.
चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश
वहीं, चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल बीते गुरुवार को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे. चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को लॉन्च होने के बाद 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. गौरतलब है कि अगर इसरो चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.