बेंगलुरु। भारत का चंद्रयान-3 नया इतिहास रचने की दहलीज पर है। 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद अब तक के सभी पड़ावों को अपेक्षा के अनुरूप पार करते हुए शनिवार रविवार की मध्यरात्रि तकरीबन दो बजे अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) पूरी कर ली। अब लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर माड्यूल चांद की सबसे करीबी कक्षा में पहुंच गया है। चंद्रमा से इसकी दूरी अब केवल 25 किमी है।
दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा भारत
140 करोड़ भारतीयों की निगाहें अब 23 अगस्त पर टिकी हैं, जब भारतीय समय अनुसार शाम छह बजकर चार मिनट पर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा। इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। लेकिन कोई भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सके हैं।
इसरो ने शुभकामनाओं और सकारात्मकता के लिए किया धन्यवाद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 भारतीय समय अनुसार शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। शुभकामनाओं और सकारात्मकता के लिए धन्यवाद! दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) के साथ ही लैंडर माड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है। इसकी कक्षा को 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। लैंडर माड्यूल अब साफ्ट लैंडिंग से पहले आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा। चंद्रमा पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा।सफल डीबूस्टिंग के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को एक्स पर पोस्ट किया, लैंडिंग को तैयार रहें।
इसरो ने कहा कि यह उपलब्धि विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग के लिए मील का पत्थर होगी, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की प्रगति का प्रतीक होगी। पहले लैंडिंग का समय शाम 5: 47 बजे निर्धारित था।
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
- 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 मिशन चांद पर रवाना हुआ।
- 1 अगस्त को स्लिंगशाट के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़कर यह चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ा।
- 5 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।
- 6 अगस्त को इसने पहली बार कक्षा बदली, इसके बाद नौ, 14 और 16 अगस्त को कक्षाओं में बदलाव कर यह चंद्रमा के ओर नजदीक पहुंचा।
- 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर माड्यूल अलग-अलग हो गए। लैंडर चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ा।
- 18 अगस्त को पहली डीबूस्टिंग के साथ लैंडर माड्यूल की कक्षा 113 किमी X 157 किमी तक कम हो गई।
चंद्रयान-3 का उद्देश्य
- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और साफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना
- रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना
- चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना
आप भी बनें इतिहास के साक्षी
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लेंडिंग के आप भी साक्षी बन सकते हैं। इसरो ने कहा कि हर भारतीय को गौरवान्वित करने वाले इस घटनाक्रम का सीधा प्रसारण 23 अगस्त, 2023 को भारतीय समयानुसार शाम 5:27 बजे शुरू किया जाएगा। इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज के साथ ही दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर भी प्रसारण होगा।
चंद्रमा की दौड़ से बाहर हुआ रूस
रूस के ‘लूना-25’ के क्रैश होने के साथ ही रूस चंद्रमा की दौड़ से बाहर हो गया है, इससे यह संभावना काफी बढ़ गई है कि भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन लाएगा। ‘लूना-25’ को भारत से दो दिन पहले 21 अगस्त को चंद्रमा पर उतरना था।