छत्तीसगढ़

क्या पिता के फैसले का भी विरोध कर रहे अखिलेश यादव? इंडिया vs भारत की लड़ाई में कूदे सपा प्रमुख ने दी नसीहत

नई दिल्ली : INDIA vs Bharat की लड़ाई में विपक्ष भाजपा को निशाने पर लेने से बिल्कुल चूक नहीं रहा, लेकिन विपक्षी नेताओं की बयानबाजी उन्हें ही निशाने पर ले रही है। जी-20 की बैठक के दौरान राष्ट्रपति भवन में होने वाले रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति भवन से जारी हुए निमंत्रण पत्र में ‘President of India’ के स्थान पर ‘President of Bharat’ लिखा गया, जिसके बाद से विपक्ष ने भाजपा सरकार पर देश का नाम बदलने का आरोप लगा दिया। इस इंडिया और भारत के मुद्दे को विपक्ष पूरी तरह से भुनाने में जुटा हुआ है।

इसी बीच, समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश यादव ने भी इस मसले पर टिप्पणी की है। अखिलेश यादव ने भाजपा को संकीर्ण सोच वाली पार्टी कहा और भारतीय जनता पार्टी का नाम बदलने की नसीहत दी। अखिलेश ने सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर यह बात कही।

अखिलेश ने लिखा, ‘वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अपने नाम में से अंग्रेज़ी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर अपना नाम भाजपा से भाजद कर देना चाहिए।’

गौरतलब है कि इंडिया का नाम भारत करने का प्रस्ताव मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2004 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान विधानसभा से पास कराया था। मुलायम ने खुद यह प्रस्ताव सदन में पेश किया था। इसे सर्वसम्मति से पास करते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन के लिए केंद्र सरकार भेजने की बात कही थी।

सपा ने वर्ष 2004 के चुनावी घोषणापत्र में भी देश का नाम ‘इंडिया’ से भारत करने के लिए संविधान संशोधन का वादा किया था। सरकार बनने के बाद मुलायम सिंह ने तीन अगस्त 2004 को विधानसभा में देश का नाम बदलने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था।