छत्तीसगढ़

चंद्रयान के तीनों मिशनों ने बेजोड़ डाटा उपलब्ध कराए, चर्चित वैज्ञानिक देबीप्रसाद ने कही ये बात

नईदिल्ली : भारत के चंद्रयान मिशन ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए अब तक ‘बेजोड़ डाटा’ उपलब्ध कराया है, जिससे भविष्य में मानव बस्ती स्थापित करने की संभावना सहित विभिन्न आयामों से चंद्रमा की खोज का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह दावा किया है प्रख्यात वैज्ञानिक देबीप्रसाद दुआरी ने।

दुआरी ने कहा कि इसरो के तीन चंद्रयान मिशनों ने चंद्रमा पर पानी या बर्फ की उपस्थिति, वहां मिले अज्ञात खनिजों, तत्वों और तापमान में बदलाव पर अधिक प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा, ‘सभी चंद्रयान मिशनों ने न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेजोड़ डाटा उपलब्ध कराया है। चंद्रयान-1 ने 2008 में चंद्रमा खनिज मैपर (नासा और इसरो के बीच सहयोगी उपकरण) का उपयोग किया था, और पहली बार ध्रुवीय क्षेत्र के पास 60,000 करोड़ लीटर पानी की बर्फ की उपस्थिति के बारे में बताया था।

उन्होंने अपने कोलकाता कार्यालय में बातचीत के दौरान उन्होने कहा, ”इस सूचना के आधार पर रॉकेट ईंधन और सिंथेटिक बायोस्फीयर बनाने सहित अन्य क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल की पहचान की गई जहां मनुष्य रह सकते हैं।” दुआरी ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन (2019) में लैंडर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में नाकाम रहा लेकिन उसने चार साल तक चंद्रमा की परिक्रमा की जिससे ‘ज्ञान, सूचना, डाटा और तस्वीरों का खजाना’ मिला। 

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में फैक्लटी मेंबर रह चुके प्रख्यात वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन ने अपनी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के कुछ ही दिनों के भीतर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर की मौजूदगी जुड़े डाटा दिए। उन्होंने कहा कि यह डाटा अन्य खनिजों और तत्वों के बारे में कई संभावनाओं को इंगित करता है जो चंद्रमा पर अब तक अज्ञात हैं। इसने चंद्रमा पर तापमान पर दिलचस्प डाटा भी प्रदान किया है,  सतह के ठीक पास का तापमान लगभग 10 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन जमीन से केवल 8 सेमी नीचे, यह शून्य से -60 डिग्री सेल्सियस नीचे है। यह बड़ा परिवर्तन हमें बताता है कि सतह बाहरी तत्वों के कारण शानदार इन्सुलेटर के रूप में कार्य कर सकती है। डाटा से पता चलता है कि चंद्रमा की सतह के नीचे एक मानव निवास संभव है। इस तरह की सभी सूचनाएं चंद्रयान-3 उपकरणों की महत्ता का प्रमाण हैं।

इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे में भारत की क्षमता के लिहाज से यह पासा पलटने वाला साबित होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, गगनयान परियोजना में तीन दिवसीय मिशन के लिए पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में तीन सदस्यों के चालक दल को लॉन्च करके और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष यान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।

उन्होंने कहा, ”यह भारतीय संदर्भ में मानव अंतरिक्ष अन्वेषण का एक और रास्ता खोलेगा। इसरो इस साल के अंत तक या 2024 की शुरुआत में गगनयान लॉन्च कर सकता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक ह्यूमनॉइड रोबोट पहली दो उड़ानों में अकेले अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। महिला जैसी दिखने वाले इस रोबोट में मानव संपर्क और प्रतिक्रिया को समझने की जबरदस्त क्षमता और संभावनाएं होंगी।   कोलकाता के बिड़ला तारामंडल से दो दशक से अधिक समय तक जुड़े रहे दुआरी ने कहा कि ‘व्योममित्र’ नाम का ह्यूमनॉइड अंतरिक्ष यान के अंदर मानव शरीर के लिए चुनौतियों की पहचान करेगा और गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भी जाएगा। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष विज्ञान में, दक्षता और प्रौद्योगिकी के इस स्तर पर ह्यूमनॉइड का यह अनुप्रयोग शायद पहली बार है; भारत अकल्पनीय लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार है।”