इंफाल : देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर हिंसा से प्रभावित है और इसका शिकार भारत की अंडर-16 फुटबॉल टीम का कप्तान नगामगौहौ मेट भी हुआ है. जब वो साउथ एशियन फुटबॉल फेडरेशन अंडर-16 चैंपियनशिप जीतकर अपने घर तेंगनौपाल पहुंचा तो उसे पता चला कि उसे अब राहत शिविर में रहना पड़ेगा. उसके माता पिता कांगपोकली जिले के एक रिलीफ कैंप में उसका इंतजार कर रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के उभरते सितारे नगामगौहौ का घर जातीय हिंसा के दौरान जला दिया गया. 15 साल के नगामगौहौ कुकी समुदाय से संबंध रखते हैं. गौर करने वाली ये है कि जिस भारतीय टीम ने इस चैंपियनशिप को जीता उस 23 लोगों की टीम में 16 मणिपुर से ही हैं. इनमें 11 मैतेई, 4 कुकी और मैतेई पंगल (मणिपुरी मुस्लिम) थे. फिर भी राज्य में इन दो समुदायों के बीच हिंसा का माहौल बना हुआ है.
‘वो हमारी ताकत का स्तंभ रहे हैं’
इतना ही नहीं नगामगौहौ अपनी इस सफलता के लिए भारतीय सीनियर टीम के पूर्व कप्तान रेनेडी सिंह के बहुत आभारी हैं. जो मैतेई समाज से आते हैं. इम्फाल की क्लासिक फुटबॉल एकेडमी के उतरते सितारे नगामगौहौ ने कहा, “उन्हें हमारी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है. वह हमेशा ही हमारी ताकत का स्तंभ रहे हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक, नगामगौहौ ने कहा, “मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि मेरे आसपास के लोग सुरक्षित हैं. हमारा राज्य बड़े पैमाने पर हिंसा से प्रभावित हुआ है. अब मुझे लगता है कि शांति उम्मीद करनी चाहिए.”
गोपनीय तरीके से भेजा गया घर
सुरक्षा चिंताओं के कारण, भारतीय टीम में कुकी खिलाड़ियों की मणिपुर वापसी को संबंधित अधिकारियों की ओर से गोपनीय रखा गया था. नगामगौहौ और एक अन्य कुकी खिलाड़ी वुमलेनलाल हैंगशिंग को इम्फाल से कांगपोकपी में लाने के लिए एक विशेष वाहन तैनात किया गया था.