भोपाल । 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग हुई थी। ये मिशन इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत को बयां करता है। इस बीच चंद्रयान-3 की सफलता पर इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी वीरामुथुवेल ने एक इंटरव्यू में खास बातचीत की। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन के बारे में भी जानकारी दी।
इसरो के वैज्ञानिक और चंद्रयान-3 के मिशन डायरेक्टर डॉ पी वीरामुथुवेल ने बताया कि चंद्रयान-3 सौर ऊर्जा पर आधारित है। उन्होंने बताया कि लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर फिलहाल स्लीप मोड पर है क्योंकि चंद्रमा के जिस हिस्से पर लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर है, वहां अभी रात का समय है। जब 22 सितंबर को सूर्य की रोशनी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेंगी तो तब जाकर लैंडर और रोवर की पहली प्रतिक्रिया का पता चल पाएगा।
डॉ पी वीरामुथुवेल के अनुसार, चंद्रयान-3 की मदद से इसरो ने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। चंद्रमा पर आगे जो भी खोज होगी, वह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होगी। इसरो चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को तलाशेगा।
वीरामुथुवेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारा मकसद और वैज्ञानिक उद्देश्य अलग होता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल चंद्रयान-3 मिशन से तत्काल कोई लाभ नही है, लेकिन यह मिशन सौरमंडल कैसे बना इस बात की संभावनाओं को तलाशेगा। उन्होंने कहा कि पानी के कण चंद्रमा में मौजूद हो सकते हैं और उनका इस्तेमाल अंतरिक्ष यान को बिजली मुहैया करने और चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने के लिए किया जा सकता है।
बता दें दि इसरो के वैज्ञानिक और चंद्रयान-3 के मिशन डायरेक्टर डॉ पी वीरामुथुवेल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने यहां भेल दशहरा मैदान में चल रहे 10वें विज्ञान मेले में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने चंद्रयान-3 के बारे में अवगत कराया। इस दौरान उन्हें सम्मानित भी किया गया।