नईदिल्ली : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे भारत के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से इसरो आज फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर सकता है। इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि अगर भाग्य ने साथ दिया तो दोनों से न केवल फिर संपर्क होगा, बल्कि उनके उपकरण भी उपयोग करने की दशा में मिलेंगे। हालांकि, इसके सामने काफी बड़ी चुनौतियां हैं। इसे लेकर इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर कुछ जरूरी बातें बताईं।
चिंता का विषय
जी माधवन नायर ने बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग दो सप्ताह से स्लीप मोड में हैं। वहां तापमान माइनस 150 डिग्री से भी ज्यादा हो सकता है। यह लगभग फ्रीजर से कुछ निकालने और और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और तंत्र कैसे एक्टिव रहते हैं, यह वास्तव में चिंता का विषय है।
भाग्य का साथ चाहिए होगा
उन्होंने बताया कि ऐसी परिस्थितियों के लिए पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं। इसमें कोई शक नहीं है। इस पर भी काम किया गया कि ऐसी स्थिति के बाद भी काम करता रहे। फिर भी हमें अपना ध्यान रखना होगा। हमें भाग्य का साथ चाहिए होगा।
अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकते हैं
उन्होंने कहा कि चांद पर सूर्योदय के बाद सौर ताप उपकरणों और चार्जर बैटरियों को भी गर्म कर देगा। यदि ये दोनों शर्तें सफलतापूर्वक पूरी हो जाती हैं, तो यह काफी अच्छा मौका है कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा। एक बार यह चालू हो जाए, तो यह काफी संभव है कि हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकते हैं और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर अधिक डेटा एकत्र कर सकते हैं।
चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था
इसरो ने इन दोनों को दो और चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था, क्योंकि चंद्रमा पर रात्रि काल शुरू हो चुका था, जिसमें भयानक सर्दी और विकिरण से उन्हें गुजरना था। बीते 20 दिन में दोनों ने माइनस 120 से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस जितनी सर्दी को सहन किया है। अब पृथ्वी के समय अनुसार 20 सितंबर की शाम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय शुरू हो गया है।